Bala Nagendran : नेत्रहीन बाला नागेंद्रन के संघर्ष की कहानी, 7 बार फेल होकर बने IAS अफसर
नई दिल्ली। जो इंसान असफलता दर असफलता मिलने के बाद मेहनत करना छोड़ देते हैं, उन्हें बाला नागेन्द्रन के संघर्ष की पूरी कहानी जरूरी जाननी चाहिए। जन्म से सौ फीसदी नेत्रहीन बाला नागेंद्रन आईएएस अफसर हैं। बीते दिनों यूपीएससी 2019 की परीक्षा में 659वीं रैंक हासिल कर बाला नागेंद्रन ने कामयाबी की नई कहानी लिखी है।
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आईएएस बाला नागेंद्रन की सक्सेस स्टोरी
बाला नागेंद्रन को यह सफलता आसानी नहीं बल्कि इनकी जिद, जुनून और कभी हार नहीं मानने वाले फैसले से मिली है। ये बीते नौ साल से यूपीएससी की तैयारियों में जुटे हुए थे। शुरुआत में लगातार चार बार और फिर लगातार तीन बार यानी कुल 7 बार फेल हुए। फिर भी बाला ने ना अफसर बनने का ख्वाब देखना छोड़ा और ना ही मेहनत करना।
कौन हैं बाला नागेंद्रन आईएएस
ये तमिलनाडु के रहने वाले हैं। इनका पूरा नाम डी बाला नागेंद्रन है। इन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई लिटिल फ्लावर कान्वेंट और रामा कृष्णा मिशन स्कूल से पूरी की। फिर चेन्नई के लोयला कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की। बाला बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज़ थे और उनके स्कूल के एक टीचर ने इन्हें IAS बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
आईएएस बाला नागेंद्रन के माता-पिता
बाला नागेंद्रन के पिता भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में चेन्नई में टैक्सी चलाते हैं। मां हाउस वाइफ हैं। बाला के जन्म पर माता-पिता को पता चला कि उनका बेटा देख नहीं सकता। नेत्रहीन हैं। हर मां-बाप की तरह इनको भी बेटे के भविष्य चिंता सताते लगी थी, मगर इन्होंने बेटे को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और यहीं ये बाला के जीवन की दिशा बदल गई।
बाला नागेंद्रन का संघर्ष
बाला बचपन से अफसर बनने की सोचा करते थे। दसवीं तक की पढ़ाई तमिल भाषा से की। ऐसे में अंग्रेजी नहीं आने की भी बड़ी समस्या थी। बाला ने पहले अंग्रेजी सीखी और फिर वर्ष 2011 से यूपीएससी की तैयारियां शुरू की। तब किताबों को ब्रेल भाषा (नेत्रहीन अभ्यर्थियों की विशेष भाषा) में बदलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिर भी बाला ने हार नहीं मानी।
जब लगातार चार बार हुए फेल
मीडिया से बातचीत में बाला नागेंद्रन बताते हैं कि वर्ष 2011 में से लेकर 2015 तक लगातार चार बार फेल हुआ। सामान्य अभ्यर्थी इतनी बार लगातार अफसल होने के बाद अक्सर यूपीएससी की तैयारी ही छोड़ देता है, मगर मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने हर बार की असफलता से कुछ ना कुछ सीखा और उसमें सुधार करता गया।
2016 में पहली बार पास की यूपीएससी परीक्षा
चार बार की असफलता से टूटने की बजाय बाला ने हिम्मत रखी और जमकर मेहनत की। नतीजा यह रहा कि पांचवें प्रयास में वर्ष 2016 में बाला ने पहली बार यूपीएससी परीक्षा पास की। 927वीं रैंक हासिल हुई तो ग्रुप ए सर्विसेस में चयन हुआ, लेकिन बाला का आत्मविश्वास तो देखिए। इन्होंने Group-A services इसलिए ज्वाइन नहीं की कि मुझे तो सिर्फ आईएएस अफसर बनना है।
2017 में सिर्फ एक नंबर से चूके
बाला ने फिर तैयारी शुरू की और वर्ष 2017 में छठी बार यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार बाला महज एक नंबर से चूके। इसके बाद सातवें और आठवें प्रयास में भी फेल हुए। आखिर यूपीएससी परीक्षा 2019 में बाला की मेहनत रंग लाई और अपने नौंवे प्रयास में AIR 659वीं रैंक पर बाला का आईएएस में चयन हो गया।
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