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मिसाल- उस आईएएस अफसर ने रिटायर होते ही छोड़ा सरकारी बंगला

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) रिषिकेश पांडा का आजकल राजधानी के सरकारी दफ्तरों में लोग खासतौर पर जिक्र कर रहे हैं। उनकी ईमानदारी के किस्से सुने-सुनाए जा रहे हैं। वे 1979 बैच के आईएएस अफसर थे। उन्होंने 1979 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया था। बीते गुरुवार को रिटायर हुए।

An honest IAS vacates his official house immediately after retirement

डा.पांडा गुरुवार को जनजाति विभाग के सचिव पद से रिटायर हुए। अगले ही दिन उन्होंने सुबह अपना पंडारा पार्क का बंगला खाली कर दिया। इधर भारत सरकार के शिखर अफसरों के बंगले हैं।

संबंध उड़ीसा से

डा. पांडा उसी दिन उड़ीसा के भद्रक जिले के अपने कालीदासपुर नाम के गांव में चले गए। यानी वे पहले से दिल्ली को छोड़ने की तैयारी कर चुके थे। वे दिल्ली में अकारण एक दिन भी रहने के लिए तैयार नहीं थे।

आमतौर पर बड़े अफसर रिटायर होने के बाद भी लंबे समय तक सरखारी बंगलों में काबिज रहते हैं, इस उम्मीद में की कि उन्हें सरकार कोई पद देकर उपकृत कर देगी। वे जोड़-तोड़ करके सरकारी बंगलों पर कब्जा जमाए रखते हैं। पर पांडा साहब तो रिटायर होते ही चले गए दिल्ली से। डा. पांडा नामवर उढ़िया लेखक भी हैं। उनकी चाहत है कि अब वे अपने खाली समय में कहानियां और कविताएं लिखे।

दिल्ली में सरकारी विभागों के गढ़ शास्त्री भवन में एक अधिकारी ने डा. पांडा के बारे में सही कहा कि अब इस तरह के सच्चे अफसरों के लिए दिल्ली में जगह कहां है। उन्हें सरकार को कोई अहम पद देना चाहिए था। पर सवाल ये है कि जो इंसान जुगाड़ नहीं कर सकता, उसके लिए समाज में स्पेस कहां बचा है।

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English summary
An honest IAS vacates his official house immediately after retirement. Dr Hrusikesh Panda, a 1979 batch IAS officer of Odisha cadre retired from the IAS on Thursday after attaining the age of superannuation.
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