कोरोनील: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को भेजा नोटिस, निम्स, आईसीएमआर, केंद्र और राज्य सरकार से भी मांगा जवाब
नैनीताल। कोरोना वायरस के उपचार के लिए कोरोनील दवा बनाने का दावा करने वाले बाबा रामदेव की मुश्किलें उत्तराखंड हाईकोर्ट ने और बढ़ा दी हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट में आर्युवेदिक दवा कोरोनील पर प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका डाली गई जिस पर सुनवाई करते हुए जजों की बेंच ने बाबा रामदेव, दिव्य फार्मेसी, निम्स विश्वविद्यालय राजस्थान, निदेशक आयुष, आईसीएमआर, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने इन सभी को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है।
हाईकोर्ट
में
जनहित
याचिका
उत्तराखंड
हाईकोर्ट
में
कोरोनील
पर
बैन
के
लिए
जनहित
याचिका
उधमसिंह
नगर
के
वकील
मणि
कुमार
ने
दाखिल
की।
इस
याचिका
में
मणि
कुमार
ने
कहा
कि
कोरोना
वायरस
के
संक्रमण
के
इलाज
का
दावा
कर
मंगलवार
को
हरिद्वार
में
बाबा
रामदेव
ने
जिस
कोरोनील
को
लॉन्च
किया
उसके
लिए
न
तो
आईसीएमआर
के
नियमों
का
पालन
किया
गया
और
न
ही
केंद्र
सरकार
के
आयुष
मंत्रालय
से
इसकी
मंजूरी
ली
गई।
इस
याचिका
पर
उत्तराखंड
हाईकोर्ट
में
मुख्य
न्यायधीश
रमेश
रंगनाथन
और
जज
आरसी
खुल्बे
की
बेंच
ने
सुनवाई
करते
हुए
यह
नोटिस
जारी
किया
है।
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याचिका
के
मुख्य
बिंदु
-
दिव्य
फार्मेसी
ने
उत्तराखंड
के
आयुष
विभाग
से
रोग
प्रतिरोधक
क्षमता
बढ़ाने
की
दवा
का
लाइसेंस
लिया
और
कोरोना
के
इलाज
की
दवा
बनाने
का
दावा
कर
दिया।
-
दवा
को
लॉन्च
करने
से
पहले
आईसीएमआर
से
प्रमाणित
नहीं
किया
गया।
-
इस
दवा
का
क्लिनिकल
परीक्षण
नहीं
किया
गया
और
मानव
शरीर
पर
क्या
दुष्प्रभाव
होंगे,
इसका
अध्ययन
नहीं
किया
गया।
-
बाबा
रामदेव
ने
दावा
किया
कि
राजस्थान
के
निम्स
विश्वविद्यालय
में
इसका
परीक्षण
किया
गया
जबकि
निम्स
ने
इस
दावे
को
खारिज
कर
दिया।
-
बाबा
रामदेव
ने
दवा
का
भ्रामक
प्रचार
किया
इसलिए
इस
पर
प्रतिबंध
लगाकर
विधिक
कार्रवाई
की
जाय।
कोरोनिल को लेकर बाबा रामदेव ने बताया कि कैसे ये दवा कोरोना मरीजों को ठीक कर रही है