जब शहीद की तस्वीर के सामने फफक-फफक कर रोए थे ओमपुरी, परिजनों से कहा था मुझे सजा दो
हिन्दी सिनेमा के बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता ओमपुरी अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी जिंदगी के कई किस्से हैं, जो ओमपुरी की याद दिलातें रहेंगे और उनकी शख्सियत को बताते रहेंगे।
मुंबई। हिन्दी सिनेमा में अभिनय की दुनिया का बड़ा नाम ओमपुरी का आज तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। 66 साल के ओमपुरी अपनी शानदार अदायगी के साथ-साथ अपने ख्यालात का खुलकर इजहार करने के लिए भी जाने जाते रहे। उन्हें जो ठीक लगा उसे खुलकर कहा, फिर चाहे वो सिनेमा से जुड़े मामले हों, मजहब से जुड़ी बाते हों या फिर देश के पड़ोसी देशों से संबंधों के मसले हों। एक तरफ वो अपनी बात खुल कर रखते और उस पर अड़े रहते तो किसी बात के लिए अपनी गलती का अहसास होने पर वो उससे माफी मांगने से भी पीछे नहीं हटे। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों कश्मीर में शहीद हुए सौनिकों को लेकर दिए गए उनके एक बयान को लेकर भी मामला सामने आया था।
पिछले
साल
उरी
में
भारतीय
सैनिकों
पर
आतंकी
हमले
के
बाद
भारत-पाक
के
बीच
रिश्तों
में
आई
कड़वाहट
और
तनातनी
पर
एक
टीवी
शो
के
दौरान
उनके
एक
बयान
से
विवाद
हो
गया।
टीवी
शो
में
कश्मीर
में
आतंकियों
से
मुकाबले
में
शहीद
हुए
जवान
नितिन
कुमार
की
बात
पर
कहा
था
कि
किसने
उन्हें
बोला
था
कि
वो
आर्मी
में
जाएं
भर्ती
होने
के
लिए?
किसने
उन्हें
हथियार
उठाने
के
लिए
कहा
था?
हालांकि
ओमपुरी
ने
ये
समझाने
की
कोशिश
की
कि
उनकी
बात
तो
गलत
तरीके
से
बताया
जा
रहा
है
लेकिन
इस
बयान
को
लेकर
उनकी
आलोचना
हुई
और
उनको
कुछ
लोग
देश
का
गद्दार
तक
कहने
लगे।
इस
पर
ओमपुरी
किसी
जिद
पर
नहीं
अड़े।
उन्होंने
कहा
कि
लगता
है
कि
उनके
शब्द
गलत
थे,
इसलिए
वो
माफी
मांगते
हैं
लेकिन
वो
असली
मुजरिम
उन
लोगों
के
हैं,
जिन्होंने
अपने
करीबियों
को
हमले
मे
खोया
है।
ऐसे
में
वो
शहीदों
के
परिजनों
के
घर
जाएंगे
और
अपने
लिए
माफी
नहीं,
सजा
मांगेगे।
ओमपुरी
ने
ये
सिर्फ
कहा
ही
नहीं
बल्कि
वो
खुद
शहीद
नितिन
यादव
के
घर
पहुंचे
और
शहीद
की
फोटो
के
सामने
परिजनों
के
बीच
बैठ
गए
और
फूट-फूट
कर
रोने
लगे।
उन्होंने
परिजनों
से
अपने
शब्दों
के
लिए
सजा
देने
की
मांग
की।
उनको
इस
तरह
से
फूट-फूट
कर
रोते
देख
शहीद
के
परिजनों
ने
बमुश्किल
उन्हें
चुप
कराया
और
उनका
ढांढ़स
बंधाया।
ऐसे
सच्चा
दिल
वाला
महान
अभिनेता
अब
इस
दुनिया
में
नहीं
रहा,
हम
उन्हें
अब
सिर्फ
पर्दे
पर
ही
देख
सकेंगे।
पढ़ें-
अर्धसत्य
नहीं
खुली
किताब
थे
ओमपुरी,
जो
दिल
में
होता
वहीं
जुबां
पर