चुनाव आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा- वोटिंग से पहले लोगों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से नहीं रोक सकते
मुंबई : चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा कि हम चुनाव के मतदान से 48 घंटे पहले लोगों को सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणी या पोस्ट करने से नहीं रोक सकते हैं। चुनाव आयोग ने सागर सूर्यवंशी नाम के वकील द्वारा कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर अपने वकील प्रदीप राजगोपाल के माध्यम से जवाब दिया।
कोर्ट में दाखिल याचिका में चुनाव आयोग को नेताओं और निजी व्यक्तियों समेत किसी भी व्यक्ति को मतदान से पहले के 48 घंटों के दौरान यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजनीति या चुनाव और 'पेड' राजनीतिक कंटेंट से संबंधित विज्ञापन डालने से रोकने के निर्देश देने को कहा गया है।
चुनाव आयोग ने मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की पीठ के समक्ष कहा कि नेताओं और राजनीतिक दलों को मतदान वाले दिन से पहले के 48 घंटे के दौरान किसी भी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों या प्रचार में शामिल होने पर रोक के नियम पहले से ही हैं।
चुनाव आयोग के वकील राजगोपाल ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126 मतदान से पहले 48 घंटे के दौरान चुनावी रैलियों, जुलूस, प्रचार पर रोक लगाती है।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि मतदान से ठीक पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये 'पेड' राजनीतिक कंटेंट और विज्ञापनों के प्रदर्शन पर भी कानून के जरिए रोक लगाई गई है। य सोशल मीडिया पर पोस्ट भी इन पाबंदियों में आते हैं।
राजगोपाल ने हाईकोर्ट से कहा कि अगर कोई व्यक्ति निजी तौर पर ब्लॉग या ट्विटर पोस्ट डालकर किसी राजनीतिक दल या इसकी नीतियों की प्रशंसा करता है तो चुनाव आयोग उसे कैसे रोक सकता है।
जनहित याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने पीठ से कहा कि फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के लिए ब्रिटेन और अमेरिका में विज्ञापन नीतियां हैं, जहां सभी विज्ञापनों और 'पेड' कटेंट को कठोर वेरिफिकेशन से गुजरना पड़ता है। उन्होंने दलील दी कि उनकी तरह भारत में भी समान पॉलिसी अपनाई जा सकती है।
दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद दो जजों की बैंच ने दोनों पक्षों से मतदान से पहले सोशल मीडिया पर 'पेड' राजनीतिक कटेंट के नियंत्रण के तरीकों पर अपने सुझाव देने के निर्देश दिए.