महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन या मजबूरी का नाम महात्मा गांधी!
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आने वाले हैं, इससे पहले ही इसके संकेत जगजाहिर हो गए हैं कि महाराष्ट्र राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन मजबूरी का नाम महात्मा गांधी है। इसका स्पष्ट उदाहरण है कि शिवसेना भाजपा के खिलाफ जहर उगल रही है.. तो भी भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं मांग के बावजूद शिवसेना से गठबंधन नहीं तोड़ रही है। इसकी वजह भाजपा के मन में अपनी जीत को लेकर संशय है और गठबंधन के लिए कोई दूसरा विकल्प न होना भी।
अंदरखाने कुछ पक रहा है
महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन इससे पहले ही भाजपा और सहयोगी पार्टी शिवसेना गठबंधन में अंदरखाने चल रही उठापठक उजागर होती दिखाई दे रही है। दरअसल, शिवसेना उद्धव ठाकरे ने साफ तौर पर राज्य का मुख्यमंत्री बनने को लेकर अपना रवैया साफ कर दिया है। इसको लेकर महाराष्ट्र भाजपा-शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में उत्पन्न तनाव की सुगबुगाहट मीडिया में दिए जा रहे हैं उनके बयानों में नजर आने लगी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से ही होगा। वहीं शिवसेना ने अपनी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का दावेदार के रूप में उद्धव ठाकरे का नाम पेश किया है।
सत्ता की लालसा
शिवसेना और भाजपा भले महाराष्ट्र में सहयोगी पार्टी हैं लेकिन मुख्यमंत्री बनने बनने और सत्ता की उच्च कोटी तक पहुंचने की दोनो पार्टी की लालसा ने गठबंधन में घुन लगा दिया है। जो धीरे-धीरे दोनों पार्टी की प्रतिष्ठा को महाराष्ट्र राज्य में मिटामेट कर रहा है। इससे पहले हम अपने विश्लेषण में चेता चुके हैं कि यदि भाजपा शिवसेना के साथ रही तो शायद ही राज्य पर शासन करने का भाजपा का सपना कभी पूरा न हो। जिसके बाद उद्धव ठाकरे की ओर से नकारात्मक संकेत आने के बाद यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यदि शिवसेना-भाजपा गठबंधन जीता तो भी पद को लेकर घमासान छिड़ सकता है और हा हुई तो गठबंधन ही टूट जाएगा।