महाराष्ट्र: पिछले 10 साल के आंकड़े और आज के समीकरण
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का मतदान समाप्त हो चुका हैं। अब आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र के संग्राम में कौन बाजी मारता है। आपको मैं लिए चल रहा हूं पिछले बरस में सामने आए चुनावी समीकरणों से उपजी संभावनाओं की ओर। गत दस से पंद्रह सालों के बीच महाराष्ट्र की राजनीति और वर्तमान में बहुत बदलाव सा आ गया है।
Party | 2004 | 2009 |
NCP | 71 | 62 |
INC | 69 | 82 |
SHS | 62 | 44 |
BJP | 54 | 46 |
IND | 19 | 24 |
Others | 13 | 30 |
Total | 288 | 288 |
कौन सी पार्टी के अस्तित्व पर खतरा
पिछले चुनावों और आज के चुनावी समीकरण से यह निकल कर आ रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन टूटने से मतदान प्रतिशत बिखर गए हैं। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो पता चलता है कि शिवसेना और एनसीपी पार्टी की लोकप्रियता घटी है। इन दोनों पार्टियों का मत प्रतिशत घटा है। हालांकि कांग्रेस पार्टी का जनाधार 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। लेकिन इस बार हालात कुछ बदले से हैं। कांग्रेस सरकार के तहत केंद्र में हुए घोटालों से कांग्रेस की छवि बिगड़ चुकी है। इसका असर लोकसभा में भी दिख चुका है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति एक बड़े तबके में गहरी सहानुभूति है। जिसका असर यह हो सकता है कि शिवसेन और एनसीपी का सफाया हो सकता है। तो वहीं कांग्रेस का मत प्रतिशत उम्मीद से ज्यादा घट सकता है।
किसी अन्य की भी चमक सकती है किस्मत
महाराष्ट्र में गठबंधन टूट से मुकाबले के पंचकोणिये रूप ले लेने से इसकी संभावनाएं उभर रही हैं कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना और निर्दलीय उम्मीदवारों की किस्मत इस बार अच्छी निकले। वैसे भी पिछले दस साल के आंकड़ों में निर्दलीय उम्मीदवारों का मत प्रतिशत कुछ बढ़ता हुआ दिखाई दिया है।
कौन बना सकता है सरकार और क्यों
केंद्र में अपना करिश्मा दिखाने के बाद नरेंद्र मोदी एक युवा वर्ग के चहेते नेता हो गए हैं। युवाओं की तो सहानुभूति तो प्रधानमंत्री के साथ है ही। और भाजपा की ओर से मोदी के चेहरे के पीछे चुनाव लड़ना भाजपा को फायदा दिला सकता है। भाजपा बहुमत के करीब पहुंचकर सरकार बना सकती है। वहीं गोपीनाथ मुंडे की मृत्यु के बाद महाराष्ट्र का एक वर्ग जो गोपीनाथ मुंडे से सहानुभूति रखता था वो अब मुंडे की बेटी को चुनाव में खड़ा देखकर भावुक होकर वोट के रूप में भाजपा की झोली में गिर सकता है।
निष्कर्षः कुल मिलाकर भाजपा बहुमत के करीब पहुंचते हुए सरकार बनाने की स्थिति तक पहुंच सकती है।