INS Vela: इसे क्यों कहते हैं साइलेंट किलर पनडुब्बी, Indian Navy की सेवा में शामिल
मुंबई, 25 नवंबर: भारतीय नौसेना में गुरुवार को आईएनएस वेला को शामिल कर लिया गया है। प्रोजेक्ट-75 के तहत इंडियन नेवी को कलवरी क्लास की कुल 6 सबमरीन मिलनी हैं, जिनमें से आईएनएस वेला चौथी पनडुब्बी है। एक हफ्ते के अंदर नौसेना के लिए यह दूसरा बड़ा उपहार है। रविवार को ही आईएनएस विशाखापट्टनम भी इसका अंग बना है। वैसे आईएनएस वेला का नाम भारतीय नौसेना के लिए नया नहीं है और उसका इतिहास साढ़े चार दशक से भी पुराना है। लेकिन, नई पनडुब्बी अपने कलेवर और अंदाज में काफी नई है और चुपचाप घात लगाने में इतनी सक्षम कि इसे जानकार साइलेंट किलर कहने लगे हैं।

आईएनएस वेला के बारे में नेवी चीफ ने क्या कहा ?
आईएनएस वेला को नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह की मौजूदगी में मुंबई डॉक में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। पिछले रविवार यानी 21 नवंबर को ही जंगी जहाज आईएनएस विशाखापट्टनम को नौसेना में शामिल किया गया था। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा है, 'आईएनएस वेला में पनडुब्बी संचालन के सभी स्पेक्ट्रम में उतरने की क्षमता है। आज की तेजी से बतलती हुई और जटिल सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, इसकी क्षमता और मारक क्षमता भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की क्षमता को बढ़ाने में अहम रोल अदा करेगी।' आईएनस वेला एक डीजल-इलेक्ट्रिक संचालित अटैक सबमरीन है।

आईएनएस वेला का अर्थ?
आईएनएस वेला का नाम नया नहीं है। आईएनएस वेला नाम की एक और पनडुब्बी 1973 से 2010 तक भारतीय नौसेना की सेवा दे चुकी है। वह सबमरीन सोवियत मूल की फॉक्सट्ऱॉट क्लास की थी। नई आईएनएस वेला को मुंबई डॉक में ही भारतीय नौसेना का हिस्सा बनाया गया है और यह नेवी के पश्चिमी कमांड में ही तैनात होगी। मुंबई की मझगांव डॉक लिमिटेड ने इस पनडुब्बी का निर्माण मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत किया है। जहां तक वेला का अर्थ है तो यह स्टिंग-रे परिवार से आने वाली एक मछली का नाम है। यह मछली समंदर के अंदर की सबसे घातक शिकारियों में से एक मानी जाती है, जिसका एक ही वार दुश्मनों का काम तमाम कर सकता है।

आईएनएस वेला की विशेषताएं क्या हैं ?
नौसेना के सूत्रों के मुताबिक आईएनएस वेला सबमरीन एक साथ नेवी के 8 अफसरों और 35 नौसैनिकों को ले जाने में सक्षम है। यह पनडुब्बी 68.7 मीटर लंबी और 12.3 मीटर चौड़ी है। इसका बीम 6.2 मीटर का है। समुद्र के सतह पर यह अधिकतम 11 नॉट की गति से चल सकती है और समंदर के पानी में गोता लगाते वक्त इसकी अधिकतम स्पीड 20 नॉट तक जाती है। समुद्र के सतह पर यह एक बार में 12 हजार किलोमीटर तक की यात्रा करने में सक्षम है, लेकिन जब समुद्र के नीचे गोते लगा रही होती है तो एक साथ 1,020 किलोमीटर दूर तक जा सकती है। यही नहीं यह अधिकतम 50 दिनों तक समुद्र की गहराइयों में गोते लगा सकती है और 1,150 फीट गहरे पानी तक गोता लगाते हुए दुश्मन को चकमा देने में माहिर है।

आईएनएस वेला दुश्मनों के लिए क्यों है घातक ?
जैसे कि स्कॉर्पिन पनडुब्बियों की विशेषता होती है कि वह मल्टी-परपस ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हो सकती हैं। इसी को देखते हुए आईएनएस वेला में उसी के मुताबिक हथियार लगाए गए हैं। जैसे कि इस जहाज में 6X533 एमएम के टॉरपीडो ट्यूब फिट किए गए हैं, जिसमें 18 एसयूटी टॉरपीडो लगाए जा सकते हैं। इस हथियार को तटों से, जहाजों से या फिर पनडुब्बी से भी फायर किया जा सकता है। इस पनडुब्बी में समुद्री माइन्स लगाने का भी इंतजाम है और दुश्मन के जहाजों ने सटने की कोशिश की तो उसके परखच्चे उड़ सकते हैं। यही नहीं इस पनडुब्बी में एंटी-शिप मिसाइलों (एसएम.39 एक्सोसेट) की भी तैनाती की जा सकती है
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आईएनएस वेला को साइलेंट किलर क्यों कह रहे हैं ?
आईएनएस वेला फ्रेंच स्कॉर्पिन क्लास की पनडुब्बी के आधार पर बनाई गई है। ये पनडुब्बियां एंटी-सर्फेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, इंटेलीजेंस, माइन बिछाने और इलाके की निगरानी रखने जैसी जिम्मेदारियां निभाने में भी सक्षम हैं। मझगांव डॉक निमिटेड ने 6 मई, 2019 को ही इसका निर्माण शुरू किया था और करीब ढाई वर्षों में इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। आईएनएस वेला में 4 एमटीयू 12वी 396 एसई84 डीजल इंजन फिट किया गया है। इसके साथ ही इसमें 360 बैटरी सेल भी लगाए गए हैं। इनके अलावा इसमें डीआरडीओ की विकसित की हुई पीएएफसी फ्यूल सेल भी लगाए गए हैं। इतनी ताकतवर ऊर्जा स्रोत की वजह से इसका इंजन शक्तिशाली तो है ही, और फिर भी यह बिना किसी आवाज के दुश्मन को टारगेट करने में सक्षम है। इसलिए जानकार इसे साइलेंट किलर कह रहे हैं। (ऊपर वाली तस्वीर-नौसेना प्रवक्ता के सौजन्य से)