राज्य सरकार की जांचों को रद्द करने की परमबीर सिंह की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया खारिज
बंबई उच्च न्यायालय ने आज मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ की गई दो प्रारंभिक जांचों को रद्द करने का अनुरोध किया था।
मुंबई, 16 सितंबर। बंबई उच्च न्यायालय ने आज मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ की गई दो प्रारंभिक जांचों को रद्द करने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि उनकी याचिका विचार करने योग्य नहीं है। अदालत ने उन्हें उचित मंच, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) से संपर्क करने का निर्देश दिया।
28 जुलाई को, जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने अंबानी बम मामले और इंस्पेक्ट अनूप डांगे द्वारा उनपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप के आलोक में सेवा नियमों के उल्लंघन से संबंधित गृह विभाग द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई प्रारंभिक जांच को रद्द करने की मांग करने वाली सिंह की याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। अपनी याचिका में सिंह ने दावा किया कि उनके खिलाफ ये दो जांचें इसलिए शुरू की गईं क्योंकि उन्होंने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गिरफ्तार किए गए पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को बार और रेस्त्रां से 100 करोड़ रुपए की वसूली का आदेश देने का आरोप लगाया था।
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उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों को वापस न लेने पर गृह विभाग ने उन्हें निशाना बनाया। उन्होंने याचिका में कहा कि राज्य सरकार द्वारा अनिल देशमुख के खिलाफ उनके आरोपों की हाईकोर्ट द्वारा आदेशित सीबीआई जांच में बाधा डालने का प्रयास किया गया था। परमबीर सिंह की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां यह बताने के लिए काफी हैं कि सिंह पर बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियर खंबाटा ने याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये जांच अखिल भारतीय सेवा नियमों के दायरे में आती है और चूंकि कैट इस तरह के मुद्दों से निपटता है इसलिए सिंह की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।