पुणे में 300 से ज्यादा लोगों को सोते-सोते ही निगल गया भूस्खलन
नींद से जागने तक नहीं दिया गांव को
करीब सौ किलोमीटर दूर मलिण गांव की यह घटना है। जहां सैंकड़ों परिवार मलबे में दब गए हैं। यह घटना तब हुई जब पूरा गांव गहरी नींद में था। कुदरत के इस कहर ने लोगों को नींद से जागने तक नहीं दिया। सैंकड़ों लोग सोते-सोते ही मौत के आगौश में समा गए। भूस्लखन की वजह से 23 लोगों की मौत हो गई है जबकि सैकड़ों लोग अभी मलबे में दबे हुए हैं। मरनेवालों की तादाद में बढ़ोतरी होने की आशंका है। अब तक के राहत और बचाव कार्य में कुछ लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया है। एनडीआरएफ की नौ टीमें राहत कार्य कर रही है। रास्ता दुर्गम होने की वजह से बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।
चौबीस घरों के लोगों का तो अता-पता नहीं
हादसे में गांव के 70 में से 46 घर मलबे में धंस गए हैं। जबकि बाकी के 24 घरों में ताला लगा हुआ है। इन घरों के लोग डर से कहां चले गए इसका अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा है। इसका कोई पता नहीं चल पा रहा है। गांव में मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से भी बचाव टीम को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
मशीनों से जान बचाने का प्रयास
प्रशासन ने स्पेशल लाइव डिटेक्टर टाइप-1 और टाइप-2 मशीनें लगाई हैं। यह मशीने ऐसी होती हैं कि मलब में दबे लोगों की धड़कनों को सुनकर उन्हें बचाया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और एनसीपी प्रमुख शरद पवार आज घटनास्थल का दौरा कर हालात की जानकारी लेंगे।