"बंजर जमीन में भी दरख़्त उगते हैं, हौसला चाहिए बस कलेजे भर का!" मिर्जापुर के किसान ने किया सिद्ध
Uttar Pradesh Agriculture : मिर्ज़ापुर जिले के रहने वाले अमित चतुर्वेदी ने पहाड़ पर बंजर पड़ी पथरीली जमीन को पहले केले का पेड़ लगाकर कृषि योग्य बनाया, उसके बाद उसी खेत से दलहन, तिलहन सहित सब्जियों की पैदावार कर रहे है।
जब दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां मायने नही रखती है। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में अमित चतुर्वेदी ने पहाड़ की बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया है। एक तरफ जहां किसान बढ़ती महंगाई के साथ मौसम की मार की वजह से खेतों को बंजर छोड़ दे रहे है, वहीं दूसरी ओर कुछ किसान बेकार बंजर पड़े जमीन को जैविक तरीके से खेती के लायक बनाकर पैदावार कर रहे है। मिर्ज़ापुर जिले के रहने वाले अमित चतुर्वेदी ने पहाड़ पर बंजर पड़ी पथरीली जमीन को पहले केले का पेड़ लगाकर कृषि योग्य बनाया, उसके बाद उसी खेत से दलहन, तिलहन सहित सब्जियों की पैदावार कर रहे है।
सुरभि शोध संस्था के प्रभारी है अमित चतुर्वेदी
मिर्ज़ापुर जिले के चुनार के रामबाग में स्थित सुरभि शोध संस्थान के प्रभारी अमित चतुर्वेदी ने कुछ ऐसा किया है, जो बाकी सभी किसानों के लिये एक मिसाल है। कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले सुरभि शोध संस्थान के प्रभारी अमित चतुर्वेदी ने संस्थान के परिसर में बंजर पथरीली जमीन, जहां पर कभी कांटेदार झाड़ियां उगी रहती थी, जिनके नीचे खोदने पर पत्थर ही रहता था, उस जमीन पर जैविक तरीके से गाय का गोबर इत्यादि चीजों का प्रयोग करके कृषि योग्य बनाकर खेती कर रहे है।
केले की खेती से की थी शुरुआत
सुरभि शोध संस्थान के प्रभारी अमित चतुर्वेदी ने बताया कि पहाड़ पर बंजर पड़ी जमीन पर खेती करना दांत से पत्थर तोड़ने सामान है, लेकिन कड़ी मेहनत व प्रयास के बाद सफलता हासिल की है। पहाड़ की जमीन पर कुछ उगाना बहुत बड़ी चुनौती थी। सबसे पहले बंजर जमीन पर खेती करने के लिए केले के पौधे लगाए। केले के पौधे लगाने के बाद जमीन के नीचे मिट्टी बना, जहां अब सब्जी सहित अन्य दलहन व तिलहन की पैदावार हो रही है। इस खेती में रासायनिक खाद या केमिकल का प्रयोग नही किया गया है। केले की खेती करने के बाद बंजर जमीन उपजाऊ हो गई। कृषि योग्य जमीन बनने के बाद अब टमाटर, बैंगन, गोभी के साथ कई अन्य सब्जियां व फूलों की खेती करके पैदावार की जा रही है।
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ऐसी जमीन पर जैविक खेती करें किसान
उपनिदेशक कृषि अशोक उपाध्याय ने बताया कि सुरभि शोध संस्थान परिसर में काफी बंजर जमीन पड़ी हुई थी, जहां उन जमीनों के नीचे पत्थर ज्यादा था। संस्था के प्रभारी को कृषि विभाग ने प्रोत्साहित किया, जहां संस्थान के प्रभारी द्वारा सबसे पहले बंजर जमीन पर केले के पौधें लगाए गए। आज स्थिति यह है कि वहां हर तरीक़े की सब्जियों की अच्छी पैदावार हो रही है। किसानों से अपील है कि बंजर व पथरीली जमीन पर खेती करने के लिए गोबर खाद का प्रयोग करें। इसके साथ ही पूरी खेती जैविक करें। इससे जमीन उपजाऊ होगी और पैदावार भी अधिक होगा।
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