सोनभद्र नरसंहार: पीड़ित परिवारों को प्रशासन ने प्रियंका गांधी से मिलने रोका, धरना जारी
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला इन दिनों सुर्खियों में है। वजह है कि सामूहिक नरसंहार मामले में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सोनभद्र जाने पर अड़ी हुई हैं। शनिवार की सुबह प्रियंका गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मिर्जापुर के चुनार गेस्टहाउस के बाहर ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रियंका गांधी का साफ कहना है कि वो नरसंहार पीड़ितों से मिले बिना वापस नहीं लौटेंगी। वहीं, प्रियंका गांधी से मिलने पहुंचे 15 पीड़िता परिवारों को जिला प्रशासन ने गेट पर ही रोक दिया। प्रियंका गांधी का आरोप है कि उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
बैकफुट पर आया जिला प्रशासन
प्रियंका गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मिर्जापुर के चुनार गेस्टहाउस के बाहर शनिवार की सुबह धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रियंका गांधी का कहना था कि आखिर क्यों उन्हों जिला प्रशासन पीड़ित परिवारों से मिलने से रोक रहा है। बताया जा रहा है कि सोनभद्र के मूर्तिया गांव में धारा 144 लगी हुई है। जिस कारण शुक्रवार को मिर्जापुर पुलिस ने प्रियंका गांधी को वहां जाने से रोक दिया था और हिरासत में ले लिया था। फिलहाल प्रियंका गांधी चुनार गेस्टहाउस में रुकीं हुई है। बता दें कि शनिवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की जिद के आगे मिर्जापुर जिला प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। आज यानी शनिवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने सोनभद्र कांड के पीड़ितों की प्रियंका से मुलाकात कराई है।
15 पीड़ित परिवारों को नहीं मिलने दिया
वहीं प्रियंका ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि 15 पीड़ित परिवारों की मुझसे मुलाकात नहीं कराई है सिर्फ 2 लोगों को मुझसे मिलाया गया है। मीडिया से बातचीत में प्रियंका ने कहा कि 15 पीड़ित परिवारों को गेट के बाहर ही रोका गया है। साथ ही कहा कि मुझे भी पीड़ित परिवारों से मिलने गेट तक भी नहीं जाने दिया गया। इससे पहले प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं जब तक परिवार के सदस्यों से नहीं मिलूंगी तब तक नहीं जाऊंगी। उन्होंने कहा कि मुझे राहुल गांधी ने भेजा है और वो जनता की आवाज बनकर उठाती रहेंगी।
क्या है मामला
17 जुलाई को सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के मूर्तिया गांव में जमीन कब्जाने को लेकर फायरिंग हुई थी। बताया जा रहा है कि जिस 100 एकड़ जमीन के लिए ये खूनी तांडव हुआ, उसे ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त ने एक आईएएस अधिकारी से खरीदी थी, लेकिन गांव वाले इस जमीन पर कब्जा छोड़ने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि वो लंबे समय से इस पर काम कर रहे हैं। आरोप है कि बुधवार दोपहर को ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त के लोग 15 से 20 ट्रैक्टर में भरकर आए और उन्होंने गांव वालों पर हमला कर दिया। उनपर बंदूक तान दी और ताबड़तोड़ गोलियों से भून डाला। इस खूनी संघर्ष में 10 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए थे।
ग्राम प्रधान समेत 27 आरोपी गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोर्तिया समेत अभी तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने हत्यारोपितों के पास से पांच लाइसेंसी बंदूकें बरामद हुई हैं, साथ ही छह ट्रैक्टर भी कब्जे में लिए गए हैं। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें रवाना कर दी गई हैं। पुलिस की मानें तो इस नरसंहार में 28 को नामजद और 50 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।