4 साल कारावास में रहकर लौटी बेटी को मां-बाप ने घर में नहीं आने दिया, जेल में बनी थी मां
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के जिगना थाना क्षेत्र में चार वर्ष पूर्व एक बच्ची के अपहरण केस में जेल में रह रही महिला को दोषी पाए जाने के बाद मिली सजा पूरी होने पर रिहा कर दिया गया। परिवार के न आने पर जेल प्रशासन उसे उसके घर ले गया, पर परिवार ने उसके कृत्यों के चलते उसे अपनाने से इनकार कर दिया। घंटों पंचायत के बाद परिजन नहीं माने तो डीएम सुशील कुमार पटेल के आदेश पर जेल प्रशासन ने महिला और उसकी तीन वर्ष की पुत्री को मड़िहान के सुधार गृह में भेज दिया।
2016
में
किया
था
अपहरण
जिगना
थाना
क्षेत्र
की
निवासी
गुड़िया
(बदला
हुआ
नाम)
सात
मार्च
2016
को
गांव
के
एक
व्यक्ति
की
तीन
वर्षीय
बेटी
का
अपहरण
कर
फरार
हो
गई
थी।
बच्ची
के
पिता
ने
आठ
मार्च
2016
को
थाने
पर
तहरीर
दी।
मुकदमा
दर्ज
करने
के
बाद
पुलिस
ने
दो
माह
बाद
अहपरण
की
गई
तीन
वर्षीय
बच्ची
को
राजस्थान
के
जयपुर
से
बरामद
कर
गुड़िया
को
गिरफ्तार
किया
था।
जेल
में
बंद
होने
पर
वह
गर्भवती
थी।
जेल
में
ही
उसने
बालिका
को
जन्म
दिया।
तब
से
वह
जेल
में
बंद
थी।
दो
दिन
पूर्व
ही
सुनाई
चार
वर्ष
की
सजा
बुधवार
को
अपर
सत्र
न्यायाधीश
एफटीसी
प्रथम
जितेंद्र
मिश्रा
की
अदालत
ने
सुनवाई
करते
हुए
गुड़िया
को
चार
वर्ष
कैद
और
पांच
सौ
रुपए
जुर्माने
की
सजा
सुनाई।
गुड़िया
की
चार
वर्ष
की
सजा
पूरी
हो
चुकी
थी
तो
जेल
अधीक्षक
अनिल
राय
ने
उसे
रिहा
किया।
उसे
लेने
घर
का
कोई
सदस्य
नहीं
आया
तो
जेल
प्रशासन
ने
गाड़ी
से
उसे
उसके
घर
भिजवाया।
गुड़िया
बनी
कुंवारी
मां
घर
पहुंचने
पर
गुड़िया
के
माता-पिता
और
भाई
ने
उसे
अपनाने
से
इनकार
कर
दिया।
परिजनों
का
कहना
था
कि
उसने
गांव
की
बालिका
का
अपहरण
किया,
बिना
शादी
किए
गर्भवती
होकर
बालिका
को
जन्म
दिया।
उसके
कृत्य
से
परिवार
के
लोग
आहत
हैं।
इस
कारण
उसे
नहीं
अपना
सकते।
जेल
अधीक्षक
अनिल
राय
ने
बताया
कि
परिवार
के
इनकार
के
बाद
डीएम
के
आदेश
पर
गुड़िया
और
उसकी
पुत्री
को
मड़िहान
के
सुधार
गृह
में
भेजा
गया।
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