मिर्जापुर: डीएम अनुराग पटेल ने तालाब में उतर कर घंटो तक की सफाई, लोग कर रहे हैं तारीफ
मिर्जापुर। मिर्जापुर के जिलाधिकारी अनुराग पटेल आजकल सोशल मीडिया पर काफी चर्चाओं में है। जिले के डीएम अनुराग पटेल ने रविवार को अपनी टीम सहित गंदे तालाब में घुसकर घंटों सफाई की। बता दें कि लोग सांप व बिच्छू के डर से पोखरे में उतरने को तैयार नहीं होते। वहीं, डीएम तालाब में उतरे और दो घंटे तक जलकुंभी को तालाब से निकाला। इस दौरान सीडीओ प्रियंका निरंजन ने तालाब के बाहर सफाई की।
तालाबो से जलकुम्भी निकलवा कर उन्हें साफ करवाया
मिर्जापुर जिले के डीएम अनुराग पटेल हर कार्य में खुद को आगे रखते है। पिछले दिनों उन्होंने विंध्याचल में फावड़ा चलाकर नदी की सफाई की थी। वहीं, आज (14 जुलाई) को जल संचय अभियान के तहत मिर्जापुर जिले में एक साथ सैकड़ों तालाबो से जलकुम्भी निकलवा कर उन्हें साफ करवाया गया। अभियान के तहत सिटी ब्लाक के खरहरा गांव मे पूरे सरकारी अमले के साथ डीएम अनुराग पटेल पहुंचे। डीएम अनुराग पटेल तालाब में घुस कर अपने हाथों से घंटो जल कुम्भी निकाल कर सफाई की। डीएम के साथ उनकी पूरी टीम सफाई करने में लगी हुई थी।
जल संचय-जीवन संचय थीम पर हुई सफाई
जल संचय-जीवन संचय थीम के अन्तर्गत जनपद के 126 तालाबों को जलकुम्भी मुक्त अभियान के तहत जिलाधिकारी अनुराग पटेल व मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन के साथ ग्राम खराहरा में श्रमदान किया। जलकुम्भी के कारण पूरे तालाब में पानी होते हुये भी कहीं से पानी नहीं दिख रहा। ऐसे तालाब का चयन कर जिलाधिकारी ने अपने कपड़े उतारकर जब तालाब के जलकुम्भी निकालने के लिये कूदे तो जिलाधिकारी को देखते ही कई ग्रामीणों ने भी तालाब में उतर कर जलकुम्भी निकालने का कार्य प्रारम्भ कर दिया।
136 तालाबों की होगी सफाई
जिलाधिकारी ने बताया कि गत वर्ष जनपद 505 तालाबों की खोदाई एक साथ किया गया था। उसी क्रम जल संचय-जीवन संचय पार्ट-2 अभियान के तहत 126 तालाबों को जनपद एक साथ सफाई करने का कार्य किया जा रहा है। प्रत्येक तालाब पर एक-एक जिला स्तरीय अधिकारी जाकर श्रमदान कर रहे हैं। सभी ग्रामीणों से भी अपील की कि तालाबों को बचायें उसे गन्दा न करें, यदि उनके ग्रामसभा में तालाब हो तो श्रमदान कर उसकी सफाई करें। इस मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि जनपद के ग्रामीणजल इस महाभियान में आगे आये उनके साथ जिला प्रशासन सहयोग के लिये हमेंशा साथ खड़ा रहेगा। जल संवर्धन का यही सबसे बडा तरीका है। हमारे पूर्वज जगह-जगह पर तालाब खोदवाते थे। उसका जल संचय के साथ ही पशुओं के पानी पीने के लिये काम आता था।