पवन जल्लाद क्यों आया चर्चा में, निर्भया के दोषियों के बाद अब किसे लटकाएगा फांसी पर?
मेरठ। निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकाने वाला पवन जल्लाद एक बार फिर चर्चाओं मे आ गया है। पवन जल्लाद इस बार एक महिला को फांसी पर लटकाने जा रहे हैं। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। मथुरा स्थित उत्तर प्रदेश के इकलौते महिला फांसीघर में इसके लिए तैयारियां कर ली गई हैं। पवन भी दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुके हैं। पवन फांसी देने के काम को महज एक पेशे के तौर पर देखते हैं। वह कहते हैं, कोई व्यक्ति न्यायपालिका से दंडित हुआ होगा और उसने वैसा काम किया होगा, तभी उसे फांसी की सजा दी जा रही होगी, लिहाजा वो केवल अपने पेशे को ईमानदारी से निभाने का काम करते हैं।
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कौन है वो महिला, जिसे फांसी देगा पवन जल्लाद?
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में 15 अप्रैल 2008 को प्रेम में अंधी बेटी ने माता-पिता और 10 माह के मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया था। 13 साल बाद अब इस हत्यारी बेटी को फांसी पर लटकाया जाएगा। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। मथुरा स्थित उत्तर प्रदेश के इकलौते महिला फांसीघर में अमरोहा की रहने वाली शबनम को मौत की सजा दी जाएगी। इसी के साथ मेरठ के पवन जल्लाद भी चर्चा में आ गए हैं। निर्भया के आरोपियों को फांसी पर लटकाने वाले पवन जल्लाद भी शबनम को फांसी देने के लिए तैयार बैठे हैं।
मथुरा जेल का फांसीघर पूरी तह से तैयार
पवन जल्लाद ने बताया कि वह छह महीने पहले मथुरा जेल गए थे। निरीक्षण के बाद वहां कुछ चीजें ठीक कराई गई हैं। अब मथुरा जेल का फांसीघर पूरी तरह तैयार हो चुका है। पवन ने बताया कि मथुरा जेल के अधिकारी लगातार उसके संपर्क में हैं। मेरठ जेल के अधीक्षक डॉ. बीडी पांडेय ने कहा कि मथुरा जेल से जैसे ही पवन जल्लाद को बुलाया जाएगा, उसे वहां भेज दिया जाएगा।
चार दशक से ज्यादा समय से जुड़े हैं इस काम से
मेरठ के रहने वाले पवन जल्लाद अब 57 साल के हो चुके हैं। इस काम से जुड़े हुए उन्हें चार दशक से ज्यादा हो चुके हैं। वह किशोरावस्था से अपने दादा कालू जल्लाद के साथ फांसी के काम में उनकी मदद करते थे। कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद 1989 में ये काम संभाला था। पवन ने अपने दादा और पिता के साथ मदद देने के दौरान करीब 80 फांसी देखीं। पिता मम्मू सिंह ने कालू जल्लाद के मरने के बाद जल्लाद का काम शुरू किया। पहले मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को पुणे की जेल में फांसी देने के लिए मम्मू सिंह को ही मुकर्रर किया गया था, लेकिन इसी दौरान मम्मू का निधन हो गया। तब बाबू जल्लाद ने ये फांसी दी। पवन जल्लाद हर बार फांसी से पहले मां काली की पूजा करते हैं। पिछले साल 21 मई की तड़के चार बजे पवन ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकाया था। पवन के नाम अब तक चार फांसी देने का रिकॉर्ड है। उसकी कई पीढ़ियां इस पुश्तैनी काम को करती रही हैं।
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