अंतिम संस्कार से पहले अंतिम दर्शन के लिए हटाया कफन, चेहरा देख उड़े परिजनों के होश, सामने आई डॉक्टरों की लापरवाही
मेरठ। कोविड महामारी के दौरान मेरठ जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने दो कोविड पेशेंट के शव आपस में बदल डाले। महामारी की दहशत में आए मेरठ निवासी पेशेंट के परिजनों ने तो बिना चेहरा देखे शव का अंतिम संस्कार भी कर डाला, लेकिन जब गाजियाबाद निवासी परिजनों ने अपने पेशेंट का चेहरा देखा तो उनके होश उड़ गए। मामला संज्ञान में आने के बाद डीएम अनिल ढींगरा ने पूरे प्रकरण में जांच बैठा दी है।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, गाजियाबाद जनपद के मोदीनगर निवासी गुरुवचन को पैरालाइसिस के चलते तीन सितंबर को मेरठ मेडिकल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उनकी कोरोना जांच पॉजिटिव आई थी। उधर, कोरोना से पीड़ित मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र के फाजलपुर निवासी यशपाल को भी 4 सितंबर को मेडिकल के कोविड वॉर्ड में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है शनिवार को यशपाल और गुरुवचन दोनों की ही मौत हो गई, जिसके बाद मेडिकल के डॉक्टरों ने औपचारिकताएं पूरी करते हुए दोनों के शव उनके परिजनों के हवाले कर दिए।
यशपाल के परिजनों ने बिना शव देखे की कर दिया अंतिम संस्कार
कंकरखेड़ा निवासी यशपाल के परिजनों ने बिना चेहरा देखे उनके शव का देर रात अंतिम संस्कार भी कर दिया। उधर, मोदीनगर निवासी गुरुवचन के परिजन शव को लेकर श्मशान घाट में पहुंचे। परिजनों ने जैसे ही अंतिम दर्शन के लिए शव के चेहरे पर ढका कफन हटाया तो उनके होश उड़ गए। दरअसल, यह शव गुरुवचन का था ही नहीं। सकते में आए गुरुवचन के परिजनों ने मामले की शिकायत मेरठ मेडिकल कॉलेज में की तो मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के भी होश उड़ गए।
डीएम ने जांच के लिए बनाई टीम
मामले की जांच कराई गई तो पता चला कि गुरुवचन और यशपाल के शव आपस में बदल गए हैं। इस मामले में डीएम अनिल ढींगरा ने पूरे प्रकरण में एडीएम सिटी और सीएमओ के नेतृत्व में जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया है। वहीं, मेडिकल के अधिकारी डॉ. ज्ञानेंद्र चौहान का कहना है कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।
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