लॉकडाउन में नहीं बचा जीवन यापन का सहारा, लुधियाना से ऊंट के साथ गोरखपुर पैदल ही चल दिया 70 साल का बुजुर्ग
मेरठ। कोरोना वायरस महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन लगा हुआ है। लॉकडाउन में सड़क यातायात से लेकर सभी काम-काज बंद है। जिसके चलते गरीबों लोगों के सामने जीवन यापन की समस्या उत्पन्न होने लगी है। जिसके चलते लोग अपने पैतृक निवास वापस लौटे लगे है। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में देखने को मिला। यहां एनएच 58 पर गुरुवार को एक ऊंट और उसके साथ 70 वर्षीय मालिक नजर आया।
70 वर्षीय असयी ने जब मीडिया कर्मियों ने बात कि तो उन्होंने बताया कि वो लुधियाना (पंजाब) में एक महीने से लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए थे। लुधियाना में रहकर ऊंट के सहारे जीवन यापन करने वाले बुजुर्ग को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो वो लुधियाना से पैदल ही ऊंट लेकर गोरखपुर के सफर पर निकल पड़े है। बता दें कि लुधियाना से ऊंट लेकर पैदल निकले बुजुर्ग एक हफ्ते बाद आज मेरठ पहुंचे है।
न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक, 70 साल के बुजुर्ग असयी ने बताया कि वह लुधियाना में इसी ऊंट पर बच्चों को बैठाकर घुमाया करते थे, जिससे उनका जीवन यापन चल रहा था। लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा तो वो अपना ऊंट लेकर लुधियाना से पैदल ही चल दिए और अब गोरखपुर जाकर ही दम लेंगे। बता दें कि असयी लुधियाना में अपने दो बेटों के साथ रहते थे।
70 साल के असयी गोरखपुर जिले के रहने वाले हैं। यहां उनके परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। वो कहते हैं कि अब जबकि अपने गांव के लिए वो इतना किलोमीटर का सफर ऊंट के साथ पैदल तय कर लिया है। तो आने वाले दिनों में बाकी बचे सैकड़ों किलोमीटर का सफर वो पैदल तय ही कर लेंगे। असयी का कहना है कि उन्हें रास्ते में अगर कोई दानदाता कुछ दे देता है तो वो खा लेते हैं, नहीं तो पानी से ही गुजारा कर लेते हैं और ऊंट को वो पेड़ के पत्ते आदि खिलाते हैं।
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