52 साल की उम्र में दिव्यांग घासीराम बने PCS अफसर, संघर्ष कर ऐसे हासिल की सफलता
Mau news, मऊ। कहते हैं जिनके सपनों में जान होती है उन्हीं को ही मंजिल मिलती है। ये कहावत सच कर दिखाई है उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रहने वाले घासीराम ने। 52 साल की उम्र में दिव्यांग घासीराम ने पीसीएस की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी बहन और दोस्तों को दिया है। घसीराम ने कहा, ''मैं गरीब परिवार से हूं और मुझे बचपन से ही अधिकारी बनने का शौक था।''
52 साल की उम्र में रचा इतिहास
उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रहने वाले 52 वर्ष के दिव्यांग घासीराम ने पीसीएस की परीक्षा पास की है। उनका चयन जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर हुआ है। उम्र के आखिरी पड़ाव पर पीसीएस की परीक्षा को पास करने वाले घासीराम को जहां पीसीएस की परीक्षा को पास करने की खुशी है वहीं उनके मन में परिवार के साथ न होने का गम भी है। घासीराम का परिवार वर्षों पहले उनसे अलग होकर आजमगढ़ जनपद में रहने लगा।
परिवार ने छोड़ दिया साथ, नहीं मानी हार
दरअसल, घासीराम की शादी होने के कुछ साल बाद ही उनकी पत्नी बच्चों के साथ उनको छोड़ गई थीं। करीब 22 साल से घसीराम का परिवार उनसे अलग है। घासीराम की पत्नी सुनीता देवी आजमगढ़ में पुलिस विभाग में नौकरी करती हैं। उनकी तीन बेटियां हैं और एक बेटा है। बीवी बच्चों की जाने के बाद घासीराम ने हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने परिवार का दर्द अपने सीने में छिपाकर रखा और पीसीएस की तैयारी में जुट गए। आज जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर चयन हो कर यह साबित कर दिया कि मंजिल कभी भी हासिल किया जा सकता है।
मां का सपना था बेटा अधिकारी बने
भाई के पीसीएस की परीक्षा को पास करने की खुशी के मौके पर बहन भी फूली नहीं समा रही हैं। उन्होंने कहा कि मां का सपना था कि उसका बेटा अधिकारी बने। आज मेरे भाई ने सच साबित कर दिया।
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