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यूपी चुनाव में मथुरा बना केंद्र, क्या भाजपा फिर दोहरा पाएगी 2017 की लहर

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मथुरा, 28 जनवरी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में गुरुवार को पूजा-अर्चना की। अमित शाह की इस यात्रा को मथुरा प्रोजेक्ट से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल अयोध्या और वाराणसी के बाद मथुरा को लेकर काफी चर्चा हो रही है। यहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, ऐसे में यहां पर भी भव्य मंदिर निर्माण की मांग उठ रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या दोनों ही यहां का दौरा कर चुके हैं। माना जा रहा था कि योगी आदित्यनाथ मथुरा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अहम बात यह है कि योगी आदित्यनाथ मथुरा का बतौर मुख्यमंत्री 18 बार दौरा कर चुके हैं।

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मंदिर का मुद्दा रहने वाला है अहम

मंदिर का मुद्दा रहने वाला है अहम

मथुरा में मुख्य मंदिर को जाने वाले रास्ते पर भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण काफी तेजी से चल ररहा है। स्थानीय नागरिकों के लिए मंदिर का विकास भावुक मुद्दा है। यहां के एक स्थानीय नागरिक का कहना है कि अयोध्या और काशी के बाद मथुरा में मंदिर विकास का नंबर आता है, अच्छी बात है कि यहां पर मरम्मत कार्य चल रहा है। हम भाजपा को ही वोट देंगे। लेकिन रोजगार के मसले का हल जरूरी है,पिछले कुछ सालों में हालात काफी बदतर हुए हैं। एक अन्य स्थानीय नागरिक योगेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार ने अच्छा काम किया है, मंदिर को जाने वाले इस रास्ते का निर्माण भाजपा ने ही कराया है, हम उन्हें ही वोट देंगे।

क्या कहना है स्थानीय लोगों का

क्या कहना है स्थानीय लोगों का

अहम बात यह है कि मंदिर प्रांगण में शाही इदगाह मस्जिद भी स्थित है, जिसका निर्माण औरंगजेब ने मुगलकाल में कराया था। इसी तरह से अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि में भी मस्जिद का निर्माण कराया गया था। मथुरा की कोर्ट में एक सिविल सूट भी दायर किया गया है जिसमे मस्जिद को यहां से हटाने की मांग की गई है। मथुरा की आबादी की बात करें तो यहां 15-17 फीसदी मुस्लिम हैं। यहां के स्थानीय कामगार मोहम्मद शानू ने बताया कि इस जगह पर कोई विकास नहीं है, हर तरफ बेरोजगारी है, जबसे महामारी आई, मंदिर में बहुत कम लोग आते हैं। हमारे सामान को कौन खरीदेगा। मंदिर-मस्जिद का कोई मतलब नहीं है।

 हमने मंदिरों की अनदेखी नहीं की

हमने मंदिरों की अनदेखी नहीं की

गौर करने वाली बात है कि भाजपा ने मथुरा से श्रीकांत शर्मा को एक बार फि से टिकट दिया है जोकि यहां के मौजूदा विधायक हैं और सरकार में ऊर्जा मंत्री भी हैं। श्रीकांत शर्मा ने यहां 2017 में 1.4 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। श्रीकांत शर्मा का कहना है कि विकास हमारी पहली प्राथमिकता है। हम इशके लिए पूरी दिल से समर्पित हैं। लेकिन हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता भी है। यह सरकार सनातन धर्म की है, इसीलिए सनातन धर्म के मंदिरों की मरम्मत कराई गई। बाकी के दल मंदिर से अपना मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।

कांग्रेस को जीत का भरोसा

कांग्रेस को जीत का भरोसा

वहीं मथुरा से कांग्रेस ने प्रदीप माथुर को टिकट दिया है जोकि चार बार के विधायक हैं। प्रदीप माथुर का कहना है कि भाजपा यहां विकास करने में पूरी तरह से विफल रही है। लोगों की समस्या के लिए भाजपा के नेता कभी मौजूद नहीं रहे। लोगों को ऐसा व्यक्ति चाहिए जो जनसेवा करे। लोग राजा नहीं चाहते हैं। कृष्णजन्मभूमि इन लोगों के लिए सिर्फ बहाना है, यह लोगों का मुद्दा नहीं है। यहां का असल मुद्दा यमुना में प्रदूषण है, महंगी बिजली है जिसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम बिजली के दाम कम करेंगे और खराब मीटर को ठीक कराएंगे। बता दें कि मथुरा में पांच विधानसभा सीटें हैं। सभी पांच सीटों पर 10 फरवरी को चुनाव होगा। भाजपा ने पिछली बार यहां से 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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English summary
Mathura is ready to set the tone of UP Assembly election here is why.
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