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फ्रांस से राफेल उड़ाकर भारत लाया मैनपुरी का लाल दीपक चौहान, पिता ने कही यह बात

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मैनपुरी। फ्रेंच फाइटर जेट राफेल की लैंडिंग 29 जुलाई को देश की सरजमीं पर हो गई है। देश के प्रत्येक नागरिक को राफेल विमान मिलने की जिनती खुशी हुई है उससे ज्यादा खुशी मैनपुरी के लोगों को इस बात की है कि मैनपुरी का एक लाल राफेल को उड़ाकर भारत लाया है। दरअसल, राफेल विमान को उड़ाकर लाने वाले दल में मैनपुरी के मूल निवासी स्क्वाड्रन लीडर दीपक चौहान शामिल थे। दीपक पिछले नौ माह से फ्रांस में रहकर राफेल को भारत लाने के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे।

फाइटर पायलट बनना चाहते थे दीपक चौहान

फाइटर पायलट बनना चाहते थे दीपक चौहान

29 जुलाई दिन बुधवार को जैसे ही स्कवाड्रन लीडर दीपक चौहान ने राफेल की लैंडिंग हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर कराई तो मैनपुरी के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इतना ही नहीं, मैनपुरी में जश्न शुरू हो गया। लड़ाकू विमान राफेल की लैडिंग के साथ ही उत्साही युवकों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर खुशी का इजहार किया। बता दें कि मैनपुरी जिले के देवपुरा निवासी पूर्व सैनिक दुखहरण सिंह के सबसे छोटे बेटे है स्कवाड्रन लीडर दीपक चौहान। दीपक जब हाईस्कूल में पढ़ते थे, तभी से फाइटर पायलट बनने की चाह थी।

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दीपक के पिता दुखहरण सिंह भी सेना में रहे

दीपक के पिता दुखहरण सिंह भी सेना में रहे

बीएसएनएल में एसडीओ और दीपक चौहान के बड़े भाई दिलीप चौहान ने बताया कि एनडीए परीक्षा पास कर वायुसेना में शामिल हुए थे। बुधवार को वे राफेल लेकर फ्रांस से अंबाला पहुंचे तो लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। दीपक चौहान ने मिग-21, मिराज और जैगुआर भी उड़ाया है। जब भारत की फ्रांस के साथ राफेल डील फाइनल हुई, उसके बाद उनको प्रशिक्षण के लिए वहां भेजा गया था। वहीं, स्क्वाड्रन लीडर दीपक चौहान के पिता दुखहरण सिंह भी सेना में रहे हैं। उनके पांच पुत्रों में अकेले दीपक चौहान ही एयरफोर्स से जुड़े हैं। वह परिवार में सबसे छोटे हैं। पिता ने बताया कि उनको अपने बेटे पर गर्व है। वह भी देश की रक्षा के लिए फौज में गए थे। अब बेटा उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।

मां ने कहा कई गुना बढ़ गई खुशी

मां ने कहा कई गुना बढ़ गई खुशी

बता दें कि स्कवाड्रन लीडर दीपक चौहान की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई। इसके बाद चयन सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में हुआ। वर्ष 2003 में दीपक चौहान ने एनडीए पास किया। वर्ष 2006 में उन्हें सेना में कमीशन मिल गया था। दीपक चौहान वर्ष 2012 में स्क्वाड्रन लीडर बने थे। वहीं, अब बेटे की सफलता से मां कमलेश की आंखें दमक रही थीं। उन्होंने बताया कि दो साल पहले ही दीपक की शादी हुई है। दीपक जब राफेल लेकर अंबाला बेस पहुंचे तो पूरा परिवार टीवी पर टकटकी लगाए देख रहा था। विमान से उतरते बेटे को देखा तो उनकी खुशी कई गुना बढ़ गई।

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English summary
Deepak Chauhan of Mainpuri brought to India by blowing Rafale from France
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