महोबा व्यापारी की मौत: SIT के आधे-अधूरे खुलासे पर उठे 5 सवाल, पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर लीपापोती!
महोबा। उत्तर प्रदेश में महोबा के व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत मामले में एसआईटी के खुलासे पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रयागराज एडीजी जोन प्रेम प्रकाश ने जो खुलासा किया है उसमें स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा गया कि इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत हत्या है या खुदकुशी? जो बातें एडीजी जोन ने कहीं वो सभी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि एसआईटी अब तक की जांच में यह मान रही है कि इंद्रकांत ने खुदकुशी की थी। वहीं हत्यारोपी निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार का बचाव करती एसआईटी दिखी। जब एडीजी जोन से पूछा गया कि एसपी पर हत्या का आरोप है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन पर हत्या कराने का आरोप है, हत्या करने का नहीं। पूरे मामले पर एडीजी जोन प्रेम प्रकाश ने खुलासा करते हुए जो भी बातें कही हैं, उस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं?
1. इंद्रकांत त्रिपाठी ने खुदकुशी की या हत्या हुई?
एसआईटी के खुलासे में यह पता नहीं चल पाया कि क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने खुदकुशी की है या उनकी हत्या हुई है। हत्या और खुदकुशी के बीच जांच अभी भी अटकी हुई है। एडीजी प्रेम प्रकाश ने बताया कि अभी तक की जांच में स्पष्ट हुआ है कि गोली कार के भीतर ही चली। ड्राइविंग सीट में गोली धंसी हुई मिली। जिसका मिलान फोरेंसिक जांच में इंद्रकांत की लाइसेंसी पिस्टल से हुआ। गोली गले से सटाकर सामने से मारी गई। पुलिस के ये तथ्य खुदकुशी की तरफ इशारा कर रहे हैं, लेकिन एडीजी ने स्पष्ट नहीं किया कि इंद्रकांत को गोली मारी गई या खुद उन्होंने गोली मारकर खुदकुशी की। इस वजह से पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। पुलिस ने 17 दिन बाद मौत के खुलासा का दावा कर प्रेसवार्ता तो की लेकिन हत्याकांड का पर्दाफाश नहीं हो सका। सवाल जस के तस बने हैं।
2. पिस्टल इंद्रकांत के घर तक कैसे पहुंची?
एसआईटी का कहना है कि कार के अंदर ही इंद्रकांत पर सामने से उसी की लाइसेंसी पिस्टल से गोली चली लेकिन वह पिस्टल कार से बरामद न होकर बहुत दिनों बाद उसके घर से बरामद की गई। इस सवाल पर एडीजी जोन ने कहा कि परिजनों के पास से पिस्टल मिली है। परिजनों का कहना है कि साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने इसे अपने पास रखा था। एडीजी ने दावा किया कि कार में इंद्रकांत को गोली लगने के बाद पार्टनर बल्लू के भाई ने वह पिस्टल उठाकर उनके घरवालों को दी थी। साथ ही यह भी कहा कि इंद्रकांत की मौत में बल्लू के भाई की भूमिका अभी तक की जांच में सामने नहीं आई है।
3.पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर एसआईटी की चुप्पी क्यों?
मृतक कारोबारी इन्द्रकांत त्रिपाठी ने वीडियो वायरल कर डीएम अवधेश कुमार तिवारी, एसडीएम सदर राजेश यादव सहित तत्कालीन थानाध्यक्ष कबरई देवेन्द्र शुक्ला पर भी भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाकर एसपी मणिलाल पाटीदार से अपनी जान का खतरा बताया था। एसआईटी ने जो खुलासा किया है उसमें पुलिस-प्रशासन के अफसरों पर इंद्रकांत त्रिपाठी द्वारा लगाए गए आरोपों पर कुछ भी नहीं कहा गया। ऐसा लगता है जैसे पुलिस महकमे को बचाने की कोशिश की जा रही है। निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार से पूछताछ पर भी एडीजी जोन ने यह कह दिया कि वह फोन नहीं उठा रहे हैं और उनका लोकेशन भी नहीं मिल रहा है। कहा कि मणिलाल पाटीदार को डीजी हेडक्वार्टर तलब किया गया है लेकिन उनके वकील ने बताया कि वह कोरोना संक्रमित हैं। इंद्रकांत त्रिपाठी पर पुलिस-प्रशासन के दबाव पर कहा कि यह सब जांच का विषय है।
4.क्या निलंबित एसपी को क्लीन चिट दे रही है एसआईटी?
एडीजी ने यह भी कहा कि मणिलाल पाटीदार पर हत्या करने का आरोप नहीं है, कराने का आरोप है जिसकी जांच चल रही है। इस पर एक पत्रकार ने पूछा कि क्या मणिलाल पाटीदार को क्लीन चीट दे दी गई है तो इस पर एडीजी ने कहा कि अभी किसी को क्लीन चिट नहीं दी गई है, इस मामले की जांच अभी एसआईटी कर रही है। एडीजी ने बताया कि पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार ने इंद्रकांत का एक वीडियो वायरल कराया था जिसमें वे जुआ खेल रहे थे। इस आधार पर पूर्व एसपी ने इंद्रकांत के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसके बाद इंद्रकांत डिप्रेशन में चले गए थे। एडीजी ने कहा फोरेंसिक, बैलिस्टिक जांच समेत अन्य जांच से हत्या के कोई सबूत अभी तक नहीं मिले हैं। कार में ही उनको गोली लगी है जहां इंद्रकांत के अलावा किसी और के होने के भी सबूत नहीं मिले हैं। उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई है, इसकी जांच की जा रही है। व्यापारी इंद्रकांत ने 5 सितंबर को वीडियो वायरल कर कहा था कि एसपी मणिलाल पाटीदार घूस न देने पर उनकी हत्या करा देंगे। 8 सितंबर को इंद्रकांत को गोली लगी थी। 13 सितंबर को कानपुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हुई थी। एसपी को निलंबित कर उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था।
5. पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक जांच में अंतर क्यों?
इंद्रकांत की मौत कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में इलाज के दौरान 13 सितंबर को हुई थी। पैनल से उसी रात कानपुर जिला अस्पताल में शव का पोस्टमॉर्टम हुआ था। तब कानपुर पुलिस के अफसरों ने बताया कि इंद्रकांत के गले पर पीछे से असलहा सटाकर गोली मारी गई है। फोरेंसिक रिपोर्ट में गोली गले पर आगे से मारे जाने की पुष्टि हुई है। अब सवाल है कि एक ही घटना में दो अलग-अलग रिपोर्ट कैसे आ गई? हालांकि एडीजी प्रेम प्रकाश का कहना है कि वैज्ञानिक परीक्षण में गोली सामने से लगने की पुष्टि है। एसआईटी ने व्यापारी हत्याकांड का आधा-अधूरा खुलासा किया जिसमें कई सवालों के जवाब नहीं मिल सके हैं। वहीं एसआईटी की इस प्रेसवार्ता का समय एक दिन में तीन बार बदला गया। पहले 2 बजे दिन का समय बदलकर 3 बजे किया गया, इसके बाद शाम के 7 बजे और उसे भी बदलकर रात 9.30 बजे किया गया जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।