अनिल देशमुख: महाराष्ट्र की सियासत का बड़ा नाम, 'पवार' के पावर का रहे हैं हिस्सा
मुंबई। 100 करोड़ की वसूली का आरोप झेल रहे अनिल देशमुख ने आज बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मालूम हो कि कोर्ट ने आज अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। अनिल देशमुख महाराष्ट्र की राजनीति का बहुत बड़ा नाम रहे हैं क्योंकि सरकार चाहे किसी की भी हो, देशमुख को हमेशा मंत्री पद मिला है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के काफी करीबी कहे जाने वाले देशमुख का लंबा सियासी सफर रहा है।
चलिए उनके इस सफर के बारे में जानते हैं विस्तार से...
वडविहिर गांव में हुआ अनिल देशमुख का जन्म
9 मई 1950 को नागपुर जिले के वडविहिर गांव में जन्मे अनिल देशमुख का परिवार शुरू से ही राजनीति में था। उनके चचेरे भाई रणजीत देशमुख महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष थे। नागपुर के ही कॉलेज से एग्रीकल्चर में परास्नातक करने वाले देशमुख ने मात्र 20 साल की उम्र में ही राजनीति के क्षेत्र में कदम रख दिया था। मतलब कहने का है ये देशमुख पिछले 50 साल से राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं। उन्होंने एक निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति के क्षेत्र में डेब्यू किया था।
यह पढ़ें: Anil Deshmukh row: कौन हैं IPS रश्मि शुक्ला, क्या उन्हें पता है अनिल देशमुख के सारे राज?
लंबा रहा है सियासी सफर
अनिल देशमुख साल 2001 से साल 2004 तक एक्सिस, फ़ूड, एंड ड्रग्स मंत्री थे तो वहीं साल 2004 से साल 2008 तक उनके पास पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट था। साल 2009 से साल 2014 तक देशमुख फ़ूड, सिविल सप्लाइज और कंस्यूमर प्रोटेक्शन विभाग के मंत्री थे।
शरद पवार के करीबी कहे जाते हैं अनिल देशमुख
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल को छोड़ दे तो देशमुख साल 1955 से लगातार मंत्री पद पर रहे हैं। साल 2014 में वो चुनाव हार गए थे। साल 2001 में उन्होंने काटोल से एनसीपी के टिकट पर इलेक्शन लड़ा था। इससे पहले वो शिवसेना-भाजपा सरकार का हिस्सा थे। लेकिन 2001 से वो एनीसीपी के साथ हैं और पवार के पावर का हिस्सा हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिए सीबीआई जांच के आदेश
मालूम हो कि सोमवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। यह फैसला हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली का टारगेट देने का आरोप लगाया था और इसी संबंध में सीबीआई जांच की मांग की थी। परमबीर सिंह के आरोपों के बाद से ही अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग उठ रही थी। अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
यह
पढ़ें:
कौन
हैं
अमरावती
सांसद
नवनीत
कौर
राणा,
क्या
है
उनका
पंजाब
और
तेलुगु
कनेक्शन?