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कंगना रनौत:BMC की ओर से वकील को 82.5 लाख रुपये देने का मामला, HC ने इस आधार पर खारिज की याचिका

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मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट में एक शक्स ने याचिका देकर दावा किया था कि बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का मुंबई में बंगला गिराने के बाद बीएमसी ने अदालत में पैरवी करने के लिए जनता के खजाने से मोटी रकम वकील पर खर्च किए। खुद को आरटीआई ऐक्टिविस्ट बताने वाले उस शख्स ने इस मामले में सीबीआई जांच तक की मांग की थी। हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आधार पर उसकी याचिका खारिज कर दी कि अदालत ऐसे फैसलों में दखल नहीं दे सकता। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मैजिस्ट्रेट कोर्ट या पुलिस के पास जाने का विकल्प जरूर दिया है।

बीएमसी पर वकील को फीस में 82.50 लाख रुपये देने का आरोप

बीएमसी पर वकील को फीस में 82.50 लाख रुपये देने का आरोप

खुद को आरटीआई ऐक्टिविस्ट बताने वाले शरद यादव ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका देकर दावा किया था कि बीएमसी ने कंगना रनौत के बंगला तोड़ने के मामले में उनकी ओर से दायर याचिका के खिलाफ पैरवी करने के लिए वरिष्ठ वकील अस्पी चिनॉय को 82.50 लाख रुपये का भुगतान किया। यादव की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए, क्योंकि इससे जनता के खजाने का नुकसान हुआ है। याचिका में कहा गया था कि बीएमसी को ऐसे 'छोटे और सामान्य केस' में इतने वरिष्ठ वकील को नहीं रखना चाहिए। हालांकि, हाई कोर्ट ने यह कहकर याचिका ठुकरा दी है कि ऐसे मामलों में अदालतें फैसला नहीं कर सकतीं।

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पुलिस या मैजिस्ट्रेट के पास कर सकते हैं शिकायत

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बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता शरद यादव की ओर से दायर अर्जी को ठुकराते हुए कहा कि, 'यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हम दखल नहीं दे सकते और इसे नियमित नहीं कर सकते। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड या एक सीनियर वकील को क्या चार्ज करना चाहिए इसमें इस कोर्ट को नहीं पड़ना चाहिए।' कोर्ट ने कहा, 'यह बीएमसी का फैसला है कि वह किसे नियुक्त करती है। आपके लिए (याचिकाकर्ता) यह सामान्य या छोटा केस हो सकता है, लेकिन बीएमसी के लिए यह महत्वपूर्ण केस रहा होगा।......कौन तय करेगा कि यह अहम या छोटा मामला है? यह उससे जुड़े अधिकारी को तय करना है।' जस्टिस शिंदे ने कहा है कि किसी भी दूसरे वादियों की तरह ही बीएमसी जिसे चाहे अपना वकील रख सकती है और खासकर कोर्ट की तरफ से इसपर किसी तरह की पाबंदी नहीं हो सकती। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर उन्हें लगता है कि कोई धोखाधड़ी जैसा अपराध हुआ है या जनता के धन का नुकसान किया गया है तो वो पुलिस या मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में निजी शिकायत लेकर जा सकते हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई को गैर-कानूनी कहा था

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई को गैर-कानूनी कहा था

दअरसल, पिछले साल सितंबर में बीएमसी ने सत्ताधारी शिवसेना के एक बड़े नेता के बयान के फौरन बाद बहुत ही मनमाने तरीके से अभिनेत्री कंगना रनौत के पाली हिल वाले बंगले का एक हिस्सा तोड़कर गिरा दिया था। उस समय कंगना हिमाचल प्रदेश में थीं। कंगना ने बीएमसी की इस कार्रवाई को दुर्भावना से की गई कार्रवाई कहा था। इसके खिलाफ वो बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गईं। हालांकि, बीएमसी ने दावा किया था कि बंगले के निर्माण में अनुमति का उल्लंघन किया गया है। लेकिन, पिछले साल नवंबर में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि बीएमसी की कार्रवाई गैर-कानूनी थी और उसने द्वेष की भावना से यह काम किया था।

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Comments
English summary
After demolishing the bungalow of Bollywood actress Kangana Ranaut, the BMC has been blaimed for pay a fee of Rs 82.50 lakh to the lawyer for lobbying in the High Court by a man, however, the Bombay High Court has rejected the petition
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