कैसे रातों-रात बदला महाराष्ट्र का सियासी गणित, जानिए पहले दिन से आखिरी दिन तक का पॉलिटिकल ड्रामा
मुंबई, 01 जुलाई। महाराष्ट्र में जिस तरह से रातों रात सियासी गणित बदला उसने हर किसी को चौंका दिया। पिछले कई दिनों से प्रदेश में सियासी ड्रामा चल रहा था और माना जा रहा था कि शिवसेना के बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार का गठन करेंगे और देवेंद्र फडणवीस प्रदेश एक बार फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन आखिरी समय पर सबकुछ बदल गया। हर किसी को चौंकाते हुए भाजपा की ओर से शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। दरअसल जिस तरह से उद्धव ठाकरे ने एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया उसके बाद प्रदेश की सियासी गणित में सबकुछ बदल गया।
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बगावत की शुरुआत
जिस तरह से विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, उसके बाद ही उद्धव ठाकरे ने आपात बैठक बुलाई थी। जिसमे सभी शिवसेना के विधायकों को हर हाल में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था। लेकिन शिवसेना के नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे बैठक में नहीं पहुंचे और उनके साथ पार्टी के 11 विधायक भी नदारद रहे। उसी दिन शिवसेना के एक दर्जन से अधिक विधायक सूरत पहुंच गए।

महाराष्ट्र से बाहर गए बागी विधायक
जैसे ही शिवसेना के भीतर बगावत की खबर सामने आई शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को पार्टी के विधायक दल के नेताके पद से हटा दिया। इसके बाद शिवसेना की एनसीपी और कांग्रेस के साथ बैठक हुई। इस बीच शिवसेना के बागी विधायक सूरत से अहम के गुवाहाटी पहुंच गए और होटल रैडिसन ब्लू में एक साथ नजर आए। होटल रैडिसन में एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है, जोकि दल बदल कानून को उनके ऊपर लागू नहीं होने देने के लिए पर्याप्त है।

उद्धव की भावुक अपील
महाराष्ट्र में सियासी संकट बढ़ने के साथ ही उद्धव ठाकरे ने लोगों बागी विधायकों के साथ जनता को संबोधित किया और कहा कि अगर बागी विधायक चाहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूं तो मैं इसके लिए तैयार हूं और इसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास छोड़ दिया। इसके बाद एनसीपी चीफ शरद पवार, सुप्रिया सुले, जितेंद्र अह्वाड ने ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें पूरा समर्थन देने की बात कही।

बागी विधायकों के खिलाफ पत्र
23 जून को सामंतवादी विधायक दीपक केसकर, मंगेश कुदालकर, सदा सर्वांकर, भी गुवाहाटी पहुंच गए। सभी बागी विधायकों ने इसके बाद पहली बार एक साथ वीडियो जारी करके एकजुटता की बात कही। हालांकि शिवसेना लगातार यह कहती रही कि इन विधायकों को किडनैप करके वहां ले जाया गया है। इस पूरी बगावत के चौथे दिन एकनाथ शिंदे ने इस बात से इनकार किया कि भाजपा का इसमे कोई हस्तक्षेप है। वहीं भाजपा ने कहा कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है। इसके ब बाद शिवेसना ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखा। जिसके बाद दो विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसपर 34 विधायकों ने हस्ताक्षर किया। लेकिन इसे इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि इस पत्र को अज्ञात व्यक्ति ने ईमेल के जरिए भेजा था।

सड़क पर उतरे शिवसैनिक
इस पूरी बगावत के पांचवे दिन शिवसेना के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए और कई जगहों पर तोड़फोड़ की। बागी विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय को तोड़ दिया गया। एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे के ऑफिस को भी थाणे में तोड़ दिया गया। डिप्टी स्पीकर ने इसके बाद 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी करके 27 जून तक जवाब देने के लिए कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने दी मोहलत
यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस को चेतावनी दी, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को 12 जुलाई तक नोटिस का जवाब देने का समय दिया । इसी दिन उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों के मंत्रालय को वापस ले लिया।

राज्यपाल एक्शन में
अगले दिन उद्धव ठाकरे ने भावुक अपील करते हुए विधायकों से कहा कि अभी भी बहुत देर नहीं हुई है, आप वापस आ सकते हैं। हम बात कर सकते हैं। लेकिन शिंदे खेमा अपने रुख पर बरकरार रहा। इन सब के बीच देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और उन्हें फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। इस अपील के बाद राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे सरकार को 30 जून शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करने को कहा।

फ्लोर टेस्ट पर रोक से इनकार
राज्यपाल के निर्देश के बाद एकनाथ शिंदे अगले दिन होटल रैडिसन से बाहर निकले और गोवा के लिए रवाना हुए। माना जा रहा था कि वह अगले दिन विधानसभा की कार्रवाई में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। लेकिन उद्धव सरकार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद रात को भी उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने फेसबुक लाइव करके अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

एकनाथ शिंदे बने मुख्यमंत्री
अपने विधायकों से गोवा में मिलने के बाद एकनाथ शिंदे अकेले मुंबई रवाना हुए। इस बीच महाराष्ट्र भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक हुई। शिंदे के मुंबई पहुंचने के बाद फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। ठीक इसके बाद एकनाथ शिंदे को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फडणवीस से कहा कि वह सरकार का हिस्सा बनें। जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद शिंदे रात को भी गोवा रवाना हो गए और यहां उन्होंने अपने विधायकों संग मुलाकात करके आगे की रणनीति पर चर्चा की।