मुंबई: अस्पताल में भर्ती 7% कोविड मरीज मानसिक स्वास्थ्य दिक्कतों का हुए शिकार- स्टडी
मुंबई, 8 सितम्बर। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले 7 प्रतिशत मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या देखी गई है। मुंबई के सेवन हिल के अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ऐसे मरीजों में तनाव, अवसाद, मनोविकृति जैसी गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या देखी गई जिसके लिए मरीजों को काउंसलिंग और इलाज की जरूरत पड़ी।
अध्ययन के मुताबिक कई मरीजों में ये मानसिक लक्षण 4 से 6 महीने तक देखे गए। अस्पताल ने जनवरी से 20 अगस्त तक भर्ती किए 17,676 मरीजों के बारे में अध्ययन किया था जिसमें पाया गया कि इलाज करने वाले डॉक्टरों ने 1585 मरीजों को मानसिक निरीक्षण के लिए भेजा। इसमें से 1233 मरीज (7%) में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या देखी गई जो कि उनमें पहले नहीं थी।
इसके अतिरिक्त 219 मरीज ऐसे थे जिनमें पहले से भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या थी। जबकि कोविड और मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे 9 मरीजों ने दम तोड़ दिया।
सबसे
ज्यादा
मरीज
अवसाद
से
ग्रस्त
मानसिक
स्वास्थ्य
समस्या
से
ग्रस्त
पाए
गए
इन
1233
मरीजों
में
सबसे
ज्यादा
24
प्रतिशत
मरीजों
में
अवसाद
की
समस्या
से
जूझ
रहे
थे
जबकि
संतुलन
बिठाने
की
समस्या
से
16
प्रतिशत
और
प्रलाप
से
14
प्रतिशत
मरीज
ग्रसित
थे।
लगातार रोने वाले, नींद न आने से ग्रस्त और लगातार तनाव में रहने वाले लोगों को डॉक्टरों ने मानसिक स्वास्थ्य के अध्ययन के लिए भेजा था।
1233 मरीजों में 109 मरीज ऐसे थे जिन्होंने असप्ताल से छुट्टी पाने से पहले रोग से मुक्ति पा ली थी जबकि 924 मरीज ऐसे थे जिन्हें 3-4 महीने के फॉलो-अप के बाद समस्या से छुटकारा मिला। अस्पताल में अभी भी 200 मरीज पोस्ट-कोविड ओपीडी में फॉलो-अप के लिए आ रहे हैं।
आवाज
खोने
जैसी
समस्या
भी
अध्ययन
में
एक
18
साल
के
लड़के
का
हवाला
दिया
गया
है
जिसे
भर्ती
होने
के
बाद
अपनी
बोलने
की
क्षमता
खो
चुका
था।
बाद
में
नाक,
कान
और
गला
विशेषज्ञों
के
काफी
प्रयास
के
बाद
उसे
मनोचिकित्सक
के
पास
भेजा
गया
जहां
इसे
कनवर्सन
डिसऑर्डर
के
रूप
में
पहचाना
गया।
यह
एक
ऐसी
स्थिति
है
जिसमें
मरीज
को
समस्या
तो
होती
है
लेकिन
इसके
पीछे
कोई
बीमारी
का
पता
नहीं
होता।
आखिरकार
तीन
दिनों
की
काउंसलिंग
के
बाद
लड़के
ने
बोलना
शुरू
किया।
इसके साथ ही एक वरिष्ठ नागरिक जो अचानक से सोना बंद कर दिए उनमें बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या पाई गई लेकिन इलाज के साथ ही डिस्चार्ज होने के पहले ही उन्हें समस्या से मुक्ति मिल गई थी।