बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- Kiss करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं, POCSO के आरोपी को जमानत
मुंबई, 15 मई: बॉम्बे हाईकोर्ट में नाबालिग के यौन शोषण से जुड़ा मामला पहुंचा था। जिसमें आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी। साथ ही कहा कि किसी को Kiss करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं हो सकता है। ऐसे में उस पर आईपीसी की धारा 377 के तहत कार्रवाई नहीं होगी।

जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने अपने 5 मई के आदेश में कहा कि पीड़ित के बयान और एफआईआर में ये बताया गया कि आरोपी ने उसके निजी अंगों को छुआ और उसके होंठ पर Kiss किया। आरोपी विकास मोहनलाल खेलानी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 384, 420 और POCSO अधिनियम 2012 की धारा 8 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मेरा मानना है कि प्रथम दृष्टया ये भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध नहीं होगा।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक साल से जेल में बंद है और अभी आरोप तय नहीं हुआ। जिस वजह से उसे जमानत दी जाती है। जमानत के लिए आरोपी को 30 हजार रुपये का बांड जमा करना होगा। इसके साथ ही उसे दो महीने में एक बार ओशिरा पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी बाहर जाकर किसी भी गवाह या सबूत के साथ छेड़छाड़ ना करे। अगर आरोपी अपना आवास, फोन नंबर आदि बदलता है तो पुलिस को इसकी सूचना देगा।
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ये पीड़ित का बयान
शिकायतकर्ता के मुताबिक 17 अप्रैल 2021 को उनकी अलमारी से कुछ पैसे गायब थे। पूछताछ में पता चला कि पीड़ित ने ऑनलाइन गेम खेला है और उसके रिचार्ज के लिए आरोपी को पैसे दिए। बाद में पीड़ित ने बताया कि रिचार्ज करने वाले ने उसके साथ यौन शोषण किया। जिस पर पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई गई।