मध्य प्रदेश: सिमी एनकाउंटर में घायल हुए तीन पुलिसकर्मियों का कुछ पता नहीं!
इस एनकाउंटर की वजह से शिवराज सरकार और पुलिस पर उठे सवाल। क्यों हो रही घायल पुलिसकर्मियों को छुपाने की कोशिश?
भोपाल। सेंट्रल जेल से भागे हुए सिमी आतंकियों को मार गिराने में शामिल तीन पुलिसकर्मी गायब हैं और उनका कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि वे घर पर आराम कर रहे हैं और कोई उनसे नहीं मिल सकता। घर पर भी उन पुलिसकर्मियों की कोई खबर नहीं मिल पाई।
हिंदुस्तान टाइम्स के इंवेस्टिगेशन के अनुसार, गायब पुलिसकर्मियों में से कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हैं और उनमें से एक तो एनकाउंटर के बाद लगातार ऑफिस जाते रहे। तीनों पुलिसकर्मियों को सरकार छिपाने की कोशिश क्यों कर रही है?
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मुठभेड़ के दौरान कथित तौर पर घायल हुए थे गायब पुलिसकर्मी
इन तीनों पुलिसकर्मियों के बारे में कहा गया था कि आठ सिमी आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान हुई फायरिंग में वे घायल हो गए थे। इस मुठभेड़ की पुलिसिया कहानी तब संदेहास्पद हो गई जब इस बारे में घटनास्थल के कई वीडियो सामने आए। इसके बाद फर्जी मुठभेड़ पर काफी सियासी घमासान मचा और शिवराज सरकार के साथ-साथ एमपी पुलिस पर सवाल उठने लगे।
एसपी अरविंद सक्सेना का कहना था कि उन पुलिसकर्मियों के हाथ और पैर पर कटने की वजह से जख्म थे। उन्होंने उन पुलिसकर्मियों के नाम बताए - स्पेशल टास्क फोर्स के हेड कॉन्स्टेबल नारायण सिंह, क्राइम ब्रांच के कॉन्स्टेबल दिनेश खत्री और मयंद सिंह।
एसपी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा उन पुलिसवालों से कोई नहीं मिल सकता। किसी को इसकी इजाजत नहीं है। वे अपने घरों पर उपचार करा रहे हैं। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने उन पुलिसवालों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
घर पर पुलिसकर्मियों की कोई खबर नहीं!
नारायण सिंह के बारे में उनके घर पर कुछ भी पता नहीं चल पाया। उनकी पत्नी ने बस इतना बताया कि वह ड्यूटी पर जा रहे हैं। कॉन्सटेबल दिनेश खत्री के घर पर उनके भाई ने पत्रकार को घर के अंदर आने से मना कर दिया और कहा कि वे अपने घाव की मरहमपट्टी करवाने के लिए हॉस्पिटल गए हुए हैं। तीसरे घायल पुलिसकर्मी मयंद सिंह के बारे में कुछ भी पता नहीं चला।
फर्जी मुठभेड़ को छुपाने की कोशिश!
तीनों घायल पुलिसकर्मियों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है। कहीं यह फर्जी मुठभेड़ के सबूत को छिपाने की कोशिश तो नहीं?
इस एनकाउंटर की वजह से मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की काफी आलोचना हुई और पुलिस पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगे।
कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने मामले पर कहा कि अगर वे पुलिसवाले एनकाउंटर के हीरो हैं तो उनको इनाम देना चाहिए, इस तरह से उनको छुपने पर मजबूर नहीं करना चाहिए।
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