जब विदेश मंत्री रहते हुए अटल जी भेष बदलकर पहुंचे थे 'खास' दोस्त के पास, मच गया था हड़कंप
ग्वालियर। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बेहद सरल व सौम्य रहा है। वे अपनी मित्रता के लिए भी जाने जाते हैं। देश के उच्च पदों पर रहते हुए भी उनके मन में तनिक मात्र भी अहंकार नहीं आया और वे विदेश मंत्री अथवा गृह मंत्री बनने के बाद भी अपने दोस्तों से वैसे ही मिलते रहे जैसे वे हमेशा से पूर्व में मिलते थे। अटल जी उच्च संवैधानिक पदों पर रहते हुए भी कभी अपने ग्वालियर के पुराने मित्रों को नहीं भुला पाए और हमेशा से उनके साथ संपर्क में रहे।
मित्रता की मिसाल का एक वाकया उनके पुराने मित्र झम्मनलाल रजक 'नेताजी' ने एक न्यूज चैनल से की गई खास बातचीत में सुनाया था। अटल बिहारी वाजपेयी मोरारजी देसाई की सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे। इस बीच एक दिन वे अचानक दिल्ली से पंजाब मेल ट्रेन से ग्वालियर आ पहुंचे। रेलवे स्टेशन से टैक्सी से सीधे दोस्त झम्मनलाल की प्रेस की दुकान में जा घुसे और उन्होंने झट से दुकान के तख्ते बंद करने को कहा, ताकि कोई उन्हें देख न ले क्योंकि वो अपने दोस्तों के साथ समय गुजारना चाहते थे। दुकान में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ चाय पी और नाश्ता भी किया। देश के इतने बड़े पद पर आसीन अटल बिहारी वाजपेयी के सादगीपूर्ण प्रेम को देख उनके दोस्त भी भाव विभारे हो गए। हालांकि, विदेश मंत्री के आने की सूचना जिला प्रशासन को लगी तो हड़कंप मच गया और पूरा इलाका छावनी बन गया. देखते ही देखते पूरे इलाके में लाल-पीली बत्तियों की लाइन लग गई। जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी वहां से चले गए।
पिता के साथ एक ही क्लास में पढ़ते थे अटल जी, सहपाठी उड़ाते थे मजाक