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आदिवासी महिलाओं ने कलेक्टर को दिखाई मजबूरी, गरीबों का लूटा जा रहा है राशन

इन आदिवासियों के लिए भारत और राज्य सरकार की 44 योजनाएं संचालित हैं लेकिन इनकी हकीकत आपके सामने हैं। जन सुनवाई में आदिवासी महलाएं रोटी लेकर पहुंची।

By Gaurav Dwivedi
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टीकमगढ़। आजादी के 70 साल बाद आज भी लोग पुमार की रोटी खाने को विवश हैं, क्यों क्या हमारे नेताओं ने या फिर प्रशासन ने कुछ भी नहीं किया जबकि इन आदिवासियों के लिए भारत और राज्य सरकार की 44 योजनाएं संचालित हैं लेकिन इनकी हकीकत आपके सामने हैं। जन सुनवाई में आदिवासी महलाएं रोटी लेकर पहुंची, महिलाओं का आरोप है कि उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलता, कलेक्टर की जनसुनवाई में जाकर योजनाओं का लाभ दिलाए जाने की मांग की गई, कलेक्टर ने तहसीलदार और जनपद सीईओ को समस्या हल करने के लिए कहा गया है।

Tribal women see the compulsion to the collector, the ration of the poor being looted
Tribal women see the compulsion to the collector, the ration of the poor being looted

टीकमगढ़ के गांव चंदावनी की रहने वाले करीब तीस आदिवासी परिवारों की महिलाए भाजी और कोंदे की बनी रोटी लेकर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची गई थीं, पीडित महिलाओं का आरोप था कि गांव में सरकारी राशन की दुकान से 35 किलो की जगह पांच किलो अनाज दिया जाता है और शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ भी नहीं दिया जाता है। यहां तक की रहने के लिए इन लोगों के पास आवास तक नहीं है।

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English summary
Tribal women see the compulsion to the collector, the ration of the poor being looted
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