शिक्षिका के जज्बे को सलाम, इस टीचर ने बिना पैसे लिए 16 साल तक बच्चों को पढ़ाया
ग्वालियर। पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है। देशभर से शिक्षकों को लेकर तरह-तरह के किस्से भी सामने आ रहे हैं। मध्यप्रदेश के ग्वालियर की एक शिक्षिका के जज्बे को लोग सलाम कर रहे हैं। यह शिक्षिका अपने और अपनी बेटी के जीवन यापन की परवाह किए बगैर 16 साल तक बिना एक पैसा लिए विद्यालय में सेवाएं दीं। खुद उच्च न्यायालय ने शिक्षिका की सेवा को एक तपस्या माना और शासन को आदेश दिया कि नियुक्ति मान्य करते हुए शासन पूरा वेतन भुगतान करें। लेकिन न्यायालय के आदेश को आज चार साल बीतने के बाद भी शासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
ग्वालियर की शिक्षिका राजलक्ष्मी शर्मा। राजलक्ष्मी के पति विजय शर्मा ग्वालियर के राधाकृष्ण माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक थे और राजलक्ष्मी घरेलू महिला। वर्ष 1999 में बीमारी के चलते विजय शर्मा का देहांत हो गया और परिवार पालन और इकलौती बेटी की जिम्मेदारी राजलक्ष्मी पर आ गई। विद्यालय ने बतौर अनुकंपा राजलक्ष्मी शर्मा को विद्यालय में नियुक्ति दे दी और फाइल शासन की ओर भेज दी।
साल दर साल समय तो बीतता गया पर शासन की ओर से कोई आदेश नहीं आया। शासन की इस अनदेखी का असर राजलक्ष्मी शर्मा के जीवन यापन पर तो पड़ा लेकिन अपने शिक्षण कार्य से उन्होंने कोई समझौता नहीं किया। वे प्रतिदिन नियत समय पर विद्यालय पहुंचती और और पूरा समय बच्चों को शिक्षा देने में बिताने के बाद शाम को छुट्टी होने पर घर आतीं। पूरे 16 साल सेवा देने के बाद वर्ष 2016 में विद्यालय प्रबंधन ने उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी। कहने का मतलब है कि अनुकंपा नियुक्ति और सेवानिवृत्ति सब शासन के नियमानुसार ही हुई पर वेतन की सुध न तो विद्यालय प्रबंधन ने ली और न ही शासन ने।
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