'मेट्रो' पर चढ़कर विधानसभा चुनाव में जीत का सफर तय करने की कोशिश में शिवराज सरकार
भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने में लगी हैं। वहीं सत्तारूढ़ शिवराज सरकार भी विधानसभा चुनाव के पहले ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती जो उसकी जीत की राह में रोड़ा अटकाए। इसी क्रम में शिवराज सरकार चुनाव के पहले पहले मेट्रो का काम शुरू करने की जुगत में है। शिवराज सरकार की मंशा है कि जो सपना तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने देखा था, सरकार उस 'मेट्रो' पर सवार होकर मप्र में विधानसभा चुनाव में विजय पताका लहराए। इसी के तहत सितंबर में इंदौर और दिसंबर में भोपाल में काम शुरू करने तैयारियां की जा रही है।
सरकार जिस रणनीति के तहत काम कर रही है उसके मुताबिक सितंबर में इंदौर में सीएम शिवराज से तारीख मिलते ही प्रोजेक्ट का श्री गणेश कर दिया जाएगा। उसके बाद दिसंबर में भोपाल की बारी आएगी। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय की हरी झंडी के बाद मेट्रो के काम ने रफ्तार पकड़ी है।
बता दें कि, राजधानी भोपाल में मेट्रो के लिए दो रूट प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें पहले रूट की लंबाई करीब 14.99 किमी प्रस्तावित है। इसकी लाइन करोंद चौराहे से साकेत नगर तक बिछाई जाएगी। इसकी एम्स से साकेत नगर तक 6.25 किमी की पहली लाइन बिछाई जाएगी। दूसरा ट्रैक भदभदा से रत्नागिरी तक 12.88 किमी का होगा। इस काम को शुरू करने के लिए सीएम शिवराज दिसंबर में भूमिपूजन करेंगे। इसमें पहले फेज़ का काम शुरू करने के लिए 277 करोड़ का टेंडर जारी किया गया है।
हालांकि सरकार का ये सपना इतना आसान भी नहीं है। मेट्रो लाइन के रास्ते आने वाला अतिक्रमण कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसी के चलते भोपाल और इंदौर में इस प्रोजेक्ट को ज़मीन पर आने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा, कैंन्द्र और राज्य सरकार प्रस्तावित बजट की हिस्सेदारी को लेकर भी बड़ा असमंजस बना हुआ था।
दरअसल, प्रोजेक्ट में केंद्र का 20% और राज्य का 80% शेयर था। जब केंद्र सरकार ने लोन का गारंटर बनने से मना कर दिया तो प्रोजेक्ट रुक गया था। इसके बाद राज्य सरकार की कड़ी मशक्कत के बाद यूरोपियन डेवलपमेंट बैंक कर्ज़ देने के लिए तैयार हुआ, इसके बाद प्रस्तावित बजट इकट्ठा हो सका है। बता दें कि, मेट्रो के पहले फेज में ही सरकार पर लगभग 3200 करोड़ रुपए के कर्ज़ हो जाएगा।