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पुलवामा आतंकी हमलाः पिता की आंखों में आज भी है बेटे के लौट आने का इंतजार, उनके जाने का घाव कभी नहीं भर सकता

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जबलपुर। " तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं। गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।" ये शेर आज भारत के उन तमाम लोगों के लबों पर हैं जिन्होंने पुलवामा हमले में अपने लाल, पति, भाई और पिता को खोए हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा इलाके में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले का शुक्रवार को पहली बरसी है। इस आतंकी हमले में देश ने कुल 45 सपूत खोए थे। इन्हीं में से एक सपूत था अश्विनी काछी जो मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के खुदावल गांव के रहने वाले थे।

14 फरवरी साल 2019 को किया गया था आतंकी हमला

14 फरवरी साल 2019 को किया गया था आतंकी हमला

अश्विनी अपने गांव और पूरे देश के लिए अमर हैं। हालांकि उनके पिता के आंखों में आज भी अश्विनी के लौटने का इंतजार है। साल 2019 में 14 फरवरी को आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करके भारत को बड़ा जख्म दे दिया था। जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों को लेकर जा रही बस पर फिदायीन हमला किया गया था।

साल 2017 में सेना में भर्ती हुए थे अश्विनी

साल 2017 में सेना में भर्ती हुए थे अश्विनी

उस हमले में कुल 45 जवान शहीद हो गए थे। उन्हीं शहीदों में से एक थे अश्विनी काछी। अश्विनी के पिता बताते हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए उसने बहुत कड़ी मेहनत की थी। एक दफा वो मेडिकल फिटनेस टेस्ट में फेल हो गया था। एक वक्त ऐसा भी आया जब अश्विनी हिम्मत हार गए थे। लेकिन उनके पिता ने उन्हें कभी हारने की सलाह नहीं दी और अंततः साल 2017 में वह सेना में भर्ती हो गए।

बेटे के जाने का घाव कभी नहीं भर सकता

बेटे के जाने का घाव कभी नहीं भर सकता

पिता कहते हैं कि बेटा भले ही बिछड़ गया, लेकिन जो सम्मान दे गया वो कोई और नहीं दे सकता। शहीद जवान अश्विनी के पिता कहते हैं कि उसके जाने की चोट का घाव कभी नहीं भर सकता। लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि सरकार ने अश्विनी की शहादत का सही बदला आतंकवादियों से लिया। बता दें कि अश्विनी के घर में एक छोटा सा मंदिर है।

घर में अश्विनी की होती है पूजा

घर में अश्विनी की होती है पूजा

अब वहां भगवान की नहीं बल्कि अश्विनी की पूजा की जाती है। घर की बच्चियों ने अश्विनी की याद में इस मंदिर में वो सभी चीजें सहेज रखी हैं जिनसे अश्विनी की यादें जुड़ी थीं। शहीद अश्विनी की वर्दी और जिस तिरंगे में लिपटकर उनका पार्थिव शरीर गांव आया था वो भी मंदिर में रखा हुआ है। अश्विनी की पहली पोस्टिंग ही श्रीनगर में हुई थी।

घर वाले सेहरा बांधने की कर रहे थे तैयारी

घर वाले सेहरा बांधने की कर रहे थे तैयारी

वो महीने भर महाराष्ट्र में शूटिंग की ट्रेनिंग भी लेकर आया था। वहीं घर वाले भी अपने लाल के सिर पर सेहरा बांधने की तैयारी कर रहे थे। अश्विनी ने अपने दोस्त से कहा था कि वो लड़की देखने आएगा। लेकिन किसे पता था कि वो अब घर तो आएगा, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

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English summary
pulwama terrorist attack jabalpur ashwini kachhi father feeling proud
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