केन-बेतवा लिंक परियोजना का जबरदस्त विरोध, राजमाता भी उतरीं सड़कों पर
'15 दिन के भीतर बृहद जनसुनवाई के माध्यम से उनका निराकरण किया जाए अन्यथा पन्ना जिले को बिना कोई लाभ मिले ये परियोजना हमें मान्य नहीं है।'
पन्ना। केन नदी के नैसर्गिक प्रवाह को तहस-नहस कर पर्यटन पर आधारित एक मात्र आजीविका को बचाने की खातिर लोग सड़क पर उतरे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के बड़े हिस्से को डुबाने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में अब पन्ना जिले के लोग सड़क पर उतर आए हैं। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर इस विनाशकारी परियोजना का विरोध किया। पन्ना शहर की सड़कों में घंटों ये नारा गूंजता रहा, मर जाएंगे और मिट जाएंगे पर केन नदी को बचाएंगे। इस प्रदर्शन की सबसे अहम बात ये रही कि पन्ना राजघराने की राजमाता दिलहर कुमारी ने स्वयं हाथ में तख्ती लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसका परिणाम ये हुआ कि पन्ना की सड़कों पर विरोध करने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा।
15 दिन का दिया सरकार को अल्टीमेटम
उल्लेखनीय है कि एक महीने पहले 6 जून को पन्ना परिवर्तन मंच के तत्वाधान में इस लिंक परियोजना के विरोध में नगरवासियों द्वारा महामहिम राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर पन्ना को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना के दुष्परिणामों और पन्ना जिले के हितों पर होने वाले कुठाराघात की चर्चा की गई थी। पन्ना के लोगों ने ये मांग की थी कि ज्ञापन में जो मुद्दे व सवाल उठाए गए हैं। 15 दिन के भीतर बृहद जनसुनवाई के माध्यम से उनका निराकरण किया जाए अन्यथा पन्ना जिले को बिना कोई लाभ मिले ये परियोजना हमें मान्य नहीं है। चूंकि शासन व प्रशासन द्वारा इस सौंपे गए ज्ञापन पर कोई पहल नहीं की गई, इसलिए अब पन्ना नगर सहित केन नदी के किनारे व आस-पास स्थित ग्रामों के सैकड़ों लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक शुक्रवार दोपहर 12 बजे किसानों के देवता बल्दाऊ जी मंदिर से इस विरोध प्रदर्शन रैली का आगाज किया। ये विशाल रैली बड़ा बाजार, अजयगढ़ चौराहा, श्रीरामजानकी मन्दिर, महेंद्र भवन चौराहे होते हुए श्री जुगल किशोरी जी मंदिर पहुंची। रैली के दौरान कई प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ सभाएं भी हुईं, जिसमें वक्ताओं ने केन-बेतवा लिंक परियोजना की हकीकत जनता के सामने बताई गईं। श्री जुगुल किशोरी जी मंदिर प्रांगण में आयोजित सभा को अनेकों लोगों ने संबोधित किया और ये संकल्प लिया कि पन्ना जिले के हितों की रक्षा के लिए चाहे जो करना पड़े, हम पीछे नहीं हटेंगे।
केन नदी पर पन्नावासियों का पहल हक
पन्ना जिले में पेयजल की आपूर्ति बोर, कुंओं व तालाबों के जरिए होती है। इन जल श्रोतों में अत्यधिक कैल्शियम होने के कारण पन्ना की 90 फीसदी जनता उदर रोगों से पीडि़त है। यदि केन नदी का पानी जिस पर पन्नावासियों का पहला हक है, वो पेयजल के लिए उपलब्ध हो जाए तो पन्नावासियों को उदर रोगों से निजात मिल सकती है। मालूम हो कि केन प्रदेश ही नहीं देश की भी इकलौती ऐसी नदी है जो पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त है और इसका पानी स्वच्छ और प्राकृतिक लवणों से युक्त है। इतिहास गवाह है कि हमनें इंदिरा गांधी नहर के माध्यम से सतलज नदी का पानी राजस्थान के थार क्षेत्रों तक पहुंचाया तो वहां की पारिस्थिति तंत्र ऐसा बदला कि स्थानीय वनस्पतियों की 150 प्रजाति लुप्त हो गईं। चूंकि केन नदी के बहुत छोटे से हिस्से का सर्वे हुआ है और बांध के नीचे केन किनारे स्थित ग्रामों, जिन्हें इस परियोजना से सर्वाधिक प्रभावित होना है वहां जनसुनवाई भी नहीं हुई। इसलिए हम चाहते हैं कि बांध का सच सबके सामने लाया जाए।
पन्ना जिले को नहीं मिलेगा कोई लाभ
केन-बेतवा लिंक परियोजना से पन्ना जिले के किसी भी भू-भाग को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है, जबकि 427 किमी लंबी केन नदी का अधिकांश भाग जो केन को विशाल बनाता है, जल आपूर्ति वाला ये क्षेत्र पन्ना जिले में ही स्थित है। केन नदी से प्रति वर्ष अरबों रू. की रेत निकलती है, जो इस परियोजना के मूर्तरूप लेने पर खत्म हो जाएगी, जिससे पन्ना जिले को भारी भरकम राजस्व की हानि होगी। चूंकि पन्ना टाइगर रिजर्व के स्थापित होने में पन्नावासियों ने अत्यधिक बलिदान दिया है और अब जब पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों से आबाद हुआ और यहां पर्यटन के विकास की संभावनाएं बढ़ीं तो टाइगर रिजर्व को ही उजाड़ने की साजिश रच दी गई जो इस जिले के साथ घोर अन्याय है।
बफर क्षेत्र में होगा पार्क का विस्तार
प्रस्तावित ढोढ़न बांध चूंकि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में आता है जो बाघों का प्रिय विचरण व रहवास स्थल है। इसी जगह पर अति दुर्लभ लंबी चोंच वाले गिद्ध भी रहते हैं। पार्क का ये अति महत्वपूर्ण हिस्सा डूब जाएगा। बांध निर्माण के बाद पार्क का बफर एरिया निश्चित ही कोर एरिया में परिवर्तित होगा। जिसके परिणाम स्वरूप पन्नावासियों को फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। पन्ना टाइगर रिजर्व के कड़े नियमों व बफर क्षेत्र के कारण पन्ना जिले के लोगों को मौजूदा समय अनेकों मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। यदि बांध का निर्माण हुआ और कोर क्षेत्र को विस्तारित किया गया तो पन्नावासियों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी और रोजी-रोजगार के साधन भी खत्म हो जाएंगे।
प्रदर्शन में इनकी रही भागीदारी
पन्ना शहर में पहली बार केन-बेतवा लिंक परियोजना का सड़क पर ऐसा विरोध प्रदर्शन हुआ है। इस प्रदर्शन में सभी राजनीतिक दलों के लोगों ने जहां भागीदारी निभाई, वहीं पन्ना राजघराने की वरिष्ठ सदस्य राजमाता दिलहर कुमारी भी महिलाओं के साथ सड़क पर उतर आईं। विरोध प्रदर्शन में अन्य लोगों समेत उन्होंने भी बांध का विरोध किया।