Panna: "रियल टाइगर्स" की ऊंची उड़ान, लॉस एंजिल्स में सिल्वर स्क्रीन पर जलवे बिखेरेंगे
सागर,
8
अगस्त।
टाइगर
स्टेट
मप्र
में
पन्ना
का
नाम
सुनहरे
अक्षरों
में
लिखा
जाता
है।
पन्ना
टाइगर
रिजर्व
में
बाघ
परिवार
की
जननी
कहलाने
वाली
बाघिन
T-1
पर
एक
मुम्बई
के
फिल्म
डायरेक्टर
सोमेश
लेखी
ने
बीते
साल
फिल्म
बनाई
थी।
जिसे
एमरॉल्ड
फॉरेस्ट
"रिटर्न
ऑफ
द
टाइगर्स"
नाम
दिया
गया
है।
इस
फिल्म
को
लॉस
एंजिल्स
में
आयोजित
होने
अंतरराष्ट्रीय
फिल्म
फेस्टीवल-2022
के
लिए
चुना
गया
है।
अगले
महीने
इसका
प्रदर्शन
किया
जाएगा।
लॉस एंजिल्स के एवलान थियेटर में प्रदर्शित होगी फिल्म
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार आगामी 21-22 सितंबर को पहले लांग बीच यूएसए में प्रदर्शित किया जाएगा। उसके बाद लॉस एंजिलस के कैटलीना द्वीप के ख्यात एवलान थियेटर में 23 एवं 25 सितंबर को प्रदर्शित किया जाएगा। इसे हिन्दी और अंग्रेजी में रिलीज किया गया है।
फिल्म बाघिन P-141, P-151 की मां बाघिन T-1 पर आधारित है
एमरॉल्ड फॉरेस्ट, "रिटर्न ऑफ द टाइगर्स" फिल्म 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व लाई गई बाघिन T-1 की कहानी और संघर्ष व बाघ कुनबे के विस्तार पर आधारित है। फिल्म में बाघिन T-1 की भूमिका का फिल्मांकन उनकी दो मादा संतानों बाघिन P-141, P-151 व उनके शावकों पर किया गया है। दोनों बाघिनों ने हाल के महीनों में दो-दो शावकों को जन्म दिया है।
पन्ना में अलग-अलग खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माया गया है
एमरॉल्ड फॉरेस्ट, "रिटर्न ऑफ द टाइगर्स" फिल्म को पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों में अलग-अलग खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माया गया है। करीब एक साल तक इस फिल्म की शूटिंग की गई थी। जिसे 80 मिनट की रील्स में बनाया गया है।
बाघ पुनर्स्थापन के संघर्ष की पूरी कहानी पर्दे पर उतरेगी
पन्ना में 2008-9 में बाघ पुनर्स्थापन के प्रयास शुरू हुए थे। एमरॉल्ड फॉरेस्ट, "रिटर्न ऑफ द टाइगर्स" फिल्म के फिल्मांकन में यह दिखाने और बताने का प्रयास किया गया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में दोबारा बाघों की दुनिया को किस तरह, किन संघर्षों के साथ आबाद किया गया है।
पीटीआर की खूबसूरत लोकेशन और वन्य प्राणी भी हैं
बाघिन T-1 की फिल्म में उसकी मांद से लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व के खूबसूरत लोकेशन और नजारे भी दिखेंगे। फिल्म में यहां के चीता, भालू, बंदर, गिद्द, लोमडी सहित अन्य सभी वन्य प्राणियों को भी शामिल किया गया है।
पन्ना में बाघ परिवार ऐसे बढ़ा था
पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि साल 2008 में बाघों से खाली हो चुके पीटीआर में सबसे पहले बांधवगढ से बाघिन T-1 और कान्हा से बाघिन T2 तथा बाघ T-3 को लाया गया था। इन्होंने यहां बाघों के परिवार को विस्तार देने में महती भूमिका निभाई है। बाघिन T-1 ने साल 2012 में पहली बार 4 शावकों व दूसरी दफा 2015 में फिर से 4 शावकों को जन्म दिया था। इसी प्रकार बाघिन टी-2 ने पहली बार में 4 व दूसरी बार में 2 शावकों को जन्म दिया था। इन सभी का पिता बाघ T-3 ही था। इसके बाद लगातार बाघों का कुनबा बढता गया और आज करीब 76 के करीब बाघ पीटीआर में मौजूद हैं।