भाभी बोली-बेटा हुआ है बधाई हो, थोड़ी देर बाद नर्स ने गोद में थमाई बेटी, मचा हंगामा
Ratlam News, रतलाम। शासकीय महिला एवं शिशु चिकित्सालय में मंगलवार शाम एक परिवार ने नवजात बदलने की आशंका जताकर हंगामा किया। मामला रतलाम के शासकीय एमसीएच (Maternal and Child Health) हॉस्पिटल का है।
जानकारी के अनुसार एमसीएच में रतलाम जिले के जावरा निवासी दीपिका को भर्ती किया गया था। उसने दोपहर 3.37 मिनट पर लड़की को जन्म दिया। दीपिका को कुछ देर बाद वार्ड में भेज दिया गया। इस दौरान कुछ देर पहले जन्मे बच्चे को दीपिका के परिजनों ने देख कर अपना बच्चा समझ कर आपस में लड़का होने की बधाई देना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ ही पलों में नर्स ने बेटी को हाथ में थमाया और बताया कि उनके परिवार में बेटी आई है वो बेटा किसी और का है। ऐसे में परिजन बच्च बदले जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे।
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हंगामा बढ़ता देख पुलिस व प्रभारी चिकित्सक अस्पताल पहुंचे और पूरे मामले में जांच की। प्रथम दृष्टया सामने आया कि पहले दीपिका की डिलिवरी हुई थी। उसके बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव होने से स्टाफ ने प्रसव कक्ष में टेबल पर अन्य जांच के लिए सुला दिया।
इसी बीच कुरैशी मंडी निवासी निलोफर को भी एमसीएच में प्रसव कक्ष में लिया गया। उसने 3.58 पर बेटे को जन्म दिया। परिजन महिला ने टेबल पर बच्चे को लेटा देखा और बाहर आकर परिजनों को बताया कि लड़के का जन्म हुआ है। करीब 15 मिनट बाद जब अस्पताल स्टाफ ने परिजनों को लड़की होने की बात कही, तो परिजन भड़क उठे। उन्होंने आरोप लगाया कि उसके परिवार में लड़के का जन्म हुआ है और अस्पताल में बच्चा बदल दिया गया है। अस्पताल की नर्स, डॉक्टरों ने दोनों परिवारों को बच्चे की जन्म की रिसिप्ट, ब्लड ग्रुप आदि के दस्तावेज भी बताए, लेकिन परिवार नहीं माना। हंगामा बढने पर स्टाफ ने वरिष्ठ जनों को सूचना दी।
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सूचना मिलने पर तहसीलदार गोपाल सोनी, सीएसपी मानसिंह ठाकुर और दोबत्ती थाना टीआई राजेंद्र वर्मा भी अस्पताल पहुंचे। हंगामे की सूचना पर कई समाजसेवी भी अस्पताल पहुंच गए। सीएसपी ने परिजनों से चर्चा की और निलोफर के परिवार ने बच्चा बदलने की शिकायत की। इसपर अधिकारियों ने दोनों परिवारों को मां के ब्लड ग्रुप, भर्ती होने के समय, बच्चों के जन्म लेने के समय सहित सभी दस्तावेज दिखाए। प्रशासन ने यह भी कहा कि अगर परिवार को फिर भी शंका है तो दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जा सकता है। हालांकि ब्लडग्रुप सहित दस्तावेज देखकर परिजन शांत हो गए और दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चे ले लिए।