धर्मांतरण मामले में दमोह एसपी को समन, राष्ट्रीय बाल आयोग नाराज, पेश होने के निर्देश
Madhya Pradesh के दमोह जिले में बीते एक महीने धर्मांतरण के तीन मामले सामने आए थे। इनमें से दो मामले बच्चों के धार्मांतण ये संबंधित थे। धर्मांतरण का खुलासा राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. प्रियंक कानूनगों ने खुद निरीक्षण के बाद किया था। मामले में वे एफआईआर कराकर गए थे। मामले में पुलिस ने आयोग को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी नहीं भेजी है। आयोग ने दमोह एसपी की लापरवाही मानते हुए उन्हें समन भेजा है।

राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष डॉ. प्रियंक कानूनगो, मप्र बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बीते दिनों दमोह के मिशनरी के बाल भवन सहित तीन संस्थाओं का निरीक्षण किया था। यहां कुल 194 बच्चे दर्ज मिले थे, जिनमें से करीब 148 बच्चे मौके पर मौजूद थे। इनका धर्मांतरण कराने का मामला सामने आया था। एक मुस्लिम बच्चे को भी क्रिश्चियन बनाने का खुलासा हुआ था। डिंडौरी के एक किशोर को पास्टर की ट्रेनिंग दी जा रही थी। मामले में निरीक्षण के बाद खुद आयोग के अध्यक्ष ने थाने पहुंचकर एफआईआर कराई थी।
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22 नवंबर को कार्रवाई प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश
इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई तो की थी, लेकिन क्या कार्रवाई की गई है, कौन-कौन आरोपी हैं। पुलिस की विस्तृत जांच में क्या नए तथ्य सामने आए हैं। संस्था के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है, इसकी जानकारी आयोग को नहीं दी गई। सबसे अहम बात आयोग ने जो कार्रवाई के आदेश दिए थे, वह कार्रवाई नहीं की गई है, आयोग को अवगत भी नहीं कराया गया है। आयोग ने इस मामले में दमोह पुलिस अधीक्षक को समन भेजकर आगामी 5 दिसंबर को आयोग के सामने कार्रवाई का ब्यौरा लेकर प्रत्यक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग की सख्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है समन में उल्लेख है कि यदि एसपी किसी कार्य का बहाना देकर आयोग के समझ उपस्थित नहीं होते तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि एसपी को पूर्व में आयोग ने 22 नवंबर को कार्रवाई प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।