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लॉकडाउन : 1500 KM के सफर में 47 दिन से नैनो कार को ही बना रखा है 'घर', अब आई यह दिक्कत

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सागर। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अब इस युवक को ही ले लिजिए इसमें अपनी कार को ही आशियाना बना रखा है। वो भी बीते 47 दिन से, लेकिन अब कार खराब होने से युवक अजीब मुश्किल में फंस गया है।

Nano car has remained home for 47 days in 1500 KM journey in Lockdown

दरअसल, पारस द्विवेदी नाम का यह शख्य मध्य प्रदेश के जबलपुर का रहने वाला है। 1500 किलोमीटर दूर असम स्थित कामाख्या मंदिर जाने के लिए 22 मार्च को सागर से अपने मामा के घर से नैना कार लेकर निकला था। झारखंड होते हुए असम जा रहा था। 24 मार्च को हजारीबाग जिले के चौपारण में जीटी रोड स्थित पेट्रोल पंप के समीप उसकी कार खराब हो गई। इसके बाद देश में लॉकडाउन लागू हो गया। ऐसे में पारस द्विवेदी यहां फंस गया। ना किसी अन्य वाहन से असम जा पा रहा और ना ही घर लौट पा रहा है।

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पारस ने कार को मैकेनिक को दिखाया तो उसने कार ठीक करने के दस हजार रुपए मांगे। इतने पैसे नहीं होने के कारण कार की रिपेयर भी नहीं हो सकी। ऐसे में पारस ने बीते 47 दिन से कार को ही अपना आशियाना बना रखा है। गाड़ी की सीट ही उसके लिए खाने का टेबल और सोने के लिए बिस्तर भी है। इधर, तनाव के कारण वह ठीक से खाना भी नहीं खा रहा है। पहले जहां वह फल खाकर गुजारा कर रहा था। वहीं, अब कच्चा मैगी खाकर पेट भर रहा है।

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English summary
Nano car has remained 'home' for 47 days in 1500 KM journey in Lockdown
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