भोपाल गैस त्रासदी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, पीड़ितों के इलाज को लेकर फंड के इस्तेमाल का है मामला
नई दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को उचित इलाज और देखभाल नहीं देने को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि 33 साल बीत जाने के बाद भी भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावित व्यक्तियों को मंत्रालय ने उचित चिकित्सा और देखभाल मुहैया नहीं कराया है। कोर्ट ने जरूरी फंड का सही इस्तेमाल नहीं करने पर नाराजगी जताई है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की भर्ती और मेडिकल देखभाल में जरूरी फंड के इस्तेमाल में देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
हाईकोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को लगाई फटकार
भोपाल गैस त्रासदी से प्रभावित व्यक्तियों के लिए उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने की दिशा में मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान रिकॉर्डों की जांच करते हुए कोर्ट ने पाया कि केंद्र सरकार के पास साल 2012 तक 400 करोड़ रुपये की राशि थी, जिसमें से आधे से ज्यादा राशि एफडीआर में तय की गई है।
शीघ्र कदम उठाने के निर्देश
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। उन्होंने इस मामले में कहा कि भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए दीर्घकालिक समाधान को लेकर फंड के इस्तेमाल और डॉक्टरों/ विशेषज्ञों की भर्ती के लिए शीघ्र और उचित कदम नहीं उठाया जा रहा।
14 फरवरी को अगली सुनवाई
इस मामले में कोर्ट ने बीएमएचआरसी में डॉक्टरों/विशेषज्ञों के भर्ती नियमों को अंतिम रूप देने में देरी को लेकर सवाल उठाया साथ ही अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को 14 फरवरी, 2018 तक डॉक्टरों/विशेषज्ञों के भर्ती नियमों को प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील के उस अनुरोध को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने तीन महीने के लिए सुनवाई स्थगित करने और भर्ती नियमों को अंतिम रूप देने के लिए और समय देने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि भर्ती नियम को अंतिम रूप दिया जायेगा जिससे भोपाल गैस त्रासदी प्रभावित व्यक्तियों को तुरंत उचित इलाज के लिए विशेषज्ञों/डॉक्टरों को नियुक्त किया जा सके।