MP: गोशालाओं में गायों के साथ नहीं रखे जाएंगे नंदी, अलग से बनेंगी 'नंदी गोशालाएं'
मप्र सरकार गो—शालाओं को अपग्रेड कर उन्हें आत्म निर्भर बनाने पर जोर दे रही है। यहां से निकलने और बनने वाले गौ उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराकर आय बढ़ाई जाएगी। गो शालाओं को कामधेनु बनाया जाएगा।
मध्य प्रदेश की गो शालाओं में गाय और नंदी को एक साथ नहीं रखा जाएगा। नंदी के लिए अलग से गो शालाएं बनाई जाएंगी। इसके अलावा गो-शालाओं को काफी हद तक आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। यहां से उत्पन्न होने वाले उत्पादों को सोसायटियों के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराया जाएग। भविष्य में मप्र की गो-शालाएं कामधेनु साबित होंगी।
भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, नई दिल्ली के सदस्य राम रघुवंशी सागर आए हुए थे। उन्होंने गोशाला प्रबंधन की समीक्षा के लिए जिला प्रशासन सहित संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर विभिन्न निर्देश दिए हैं। बैठक में रघुवंशी ने कहा कि जिले में गोशालाओं का संचालन व्यवस्थित रूप से किया जाए। नन्दी के लिए अलग गोशालाएं रखे। गोशालाओं के सफल संचालन के लिए एमजीएसवाय गोशालाओं को एनजीओ एवं एसएचजी समूह से समन्वय स्थापित करें जिससे गोवंश की सेवा उदेश्यपूर्ण हो सके। गोशालाओं को जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन दिए जाएं। जिससे गोवंश को पानी की दिक्कत न हो। श्री रघुवंशी ने कहा कि गोवंश की तस्करी में उपयोग होने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
साढ़े
पांच
हजार
गो-शालाओं
को
1.30
करोड़
रुपए
प्रदान
किए
गए
बैठक
में
कलेक्टर
दीपक
आर्य
ने
मुख्यमंत्री
गौशाला
योजनान्तर्गत
गोशालाओं
एवं
पंजीकृत
निजी
गोशालाओं
के
संचालको
को
गोशालाओं
में
उपलब्ध
गोवंश,
आहार
अनुदान
का
समुचित
उपयोग
करने
के
निर्देश
दिए।
उपसंचालक
पशु
चिकित्सा
सेवा
ने
बताया
कि
मुख्यमंत्री
गोसेवा
योजनान्तर्गत
संचालित
26
गोशालाओं
में
गोवंश
की
संख्या
5,439
है
और
इन्हें
1
करोड़
30
लाख
53
हजार
की
राशि
दी
गई
है।
इसी
तरह
21
अशासकीय
गोशालाओं
में
गोवंश
की
संख्या
11,865
है,
इन्हें
दो
करोड़
चौरासी
लाख
छियत्तर
हजार
की
राशि
प्रदाय
की
गई
है।
Recommended Video
हे मां..! इन मासूमों का क्या कसूर था, जन्म होते ही छोड़कर क्यों भागीं
गो
शालाओं
में
बने
उत्पाद
सोसायटियों
के
माध्यम
से
बाजार
में
बिकेंगे
राम
रघुवंशी
ने
कहा
कि
गोशालाओं
को
आत्मनिर्भर
बनाने
के
लिए
आर्थिक
गतिविधियों
को
बढावा
देने
के
लिए
गोशालाओं
में
बनाए
जाने
वाले
उत्पादों
का
विक्रय
को-आपरेटिव
एजेंसी
के
माध्यम
से
किया
जाएं,
जिससे
प्रदेश
स्तर
पर
गोशालाओं
की
पहचान
स्थापित
हो
सकें।
बैठक
में
कलेक्टर
दीपक
आर्य,
जिला
पंचायत
के
मुख्य
कार्यपालन
अधिकारी
पीसी
शर्मा,
उप
संचालक
पशु
चिकित्सा
सेवाएं
डॉ.
बीके
पटेल,
नगर
निगम
सभापति
शैलेष
केशरवानी,
जिला
गोपालन
समिति
के
नोडल
अधिकारी
डॉ.
बीएस
ठाकुर,
जिला
प्रबंधक
आजीविका
मिशन
अनूप
तिवारी,
प्रशुभ
जैन,
शासकीय,
अशासकीय
गो
शालाओं
के
संचालक
और
गोशालाओं
की
गतिविधियो
से
जुडे़
प्रतिनिधि
तथा
विभिन्न
विभागों
के
अधिकारी
मौजूद
थे।