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माधवराव सिंधिया जयंतीः क्या पिता की राह पर चल पड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया

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भोपाल। मध्य प्रदेश की मौजूदा राजनीति काफी दिलचस्प होती जा रही है। सभी लोगों की नजर सोमवार रात से मध्य प्रदेश पर टिकी हुई है। इन सभी का केंद्र हैं कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया। विधानसभा के चुनावी नतीजों के आने के बाद जब से पार्टी ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना था तभी से ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से उखड़े हुए नजर आ रहे हैं। कई लोगों का यह मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें मनाने में असफल हो गई तो भारतीय जनता पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजने का बड़ा दांव चल सकती है।

मोदी सरकार में शामिल हो सकते हैं सिंधिया

मोदी सरकार में शामिल हो सकते हैं सिंधिया

बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की मंगलवार को 75वीं जयंती है। ऐसे में सभी लोगों की नजरें ज्योतिरादित्य पर टिकी हुई हैं कि कहीं वो इस खास मौके पर बड़ा एलान तो नहीं करने वाले। सूत्रों का मानना है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया किन्ही कारणों से भाजपा में नहीं जा सकते तो पार्टी उन्हें बतौर निर्दलीय राज्यसभा भेज सकती है। इस तरह उन्हें मोदी सरकार में भी शामिल होने का मौका मिल सकता है।

क्या पिता की राह पर चल पड़े सिंधिया

क्या पिता की राह पर चल पड़े सिंधिया

सभी के मन में यही एक सवाल है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता माधवराव सिंधिया की राह पर चलेंगे। क्योंकि साल 1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अपनी अगल पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी। हालांकि बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे।

राजमाता ने भी छोड़ दिया था कांग्रेस का दामन

राजमाता ने भी छोड़ दिया था कांग्रेस का दामन

वहीं 1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थी और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थी। मौजूदा सियासी हलचल के बीच अब यह उठने लगे हैं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता और दादी की तरह कुछ नया एलान करेंगे।

दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य की राह में खड़े किए मुश्किल

दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य की राह में खड़े किए मुश्किल

सूत्रों का कहना है कि साल 2018 के विधानसभा तुनाव में प्रबल दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूक जाने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन दिग्विजय सिंह के रोड़ अटकाने के चलते नहीं बन पाए। फिर उन्हें लगा कि पार्टी आगे राज्यसभा भेजेगी लेकिन इस राह में भी दिग्विजय सिंह ने मुश्किलें खड़ी कर दीं। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के कुछ नेताओं से संपर्क बढ़ाना शुरू किया। इसी कड़ी में बीते 21 जनवरी को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी।

 कमलनाथ के मंत्री बोले- अगर सरकार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा की, तब मुश्किल होगी कमलनाथ के मंत्री बोले- अगर सरकार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा की, तब मुश्किल होगी

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English summary
madhya pradesh madhavrao scindia 75th birth anniversary jyotiraditya
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