यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को 1 महीने में खाली करने होंगे सरकारी बंंगले
जबलपुर। यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को शिवराज सिंह सरकार को निर्देश दिए हैं कि, वह जल्द से जल्द पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले खाली कराए। जबलपुर हाई कोर्ट ने एक छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने उस नियम को असंवैधानिक बताया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास और सुविधाएं देने का प्रावधान था।
सरकार के संसोधनों को असंवैधानिक करार दिया
दो जजों की बेंच ने निर्देश देते हुए कहा- पूर्व मुख्यमंत्रियों कैलाश जोशी, उमा भारती और दिग्विजय सिंह से सरकारी बंगले एक महीने के भीतर खाली कराए जाएं। कोर्ट ने प्रदेश सरकार की तरफ से बनाए गए नियमों में संसोधन को भी असंवैधानिक करार दिया। यह याचिका पिछले साल दायर लॉ स्टूडेंट रौनक यादव ने हाईकोर्ट में दायर की थी। जिस पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।
समानता के अधिकार का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नियम के विरुद्ध सरकारी आवासों में रहते हैं। प्रदेश सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश वेतन भत्ता अधिनियम में 2017 में संशोधन किया था और पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान मंत्रियों के समान वेतन-भत्ते और आवास की सुविधा देने का प्रावधान जोड़ दिया। इस संशोधन की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
एक महीने में खाली करने होंगे आवास
कोर्ट के इस आदेश के बाद मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, दिग्विजय सिंह, और कैलाश जोशी के साथ-साफ बाबू लाल गौर को एक महीने के भीतर अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने होंगे। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने का आदेश दिया था।