आखिर बुंदेलखंड कब गाएगा आजादी के गीत, सब बर्बाद करते अफसर
1287 नलजल योजनाएं तैयार की। इनमें से 997 योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाईं। सीटीई रिपोर्ट के बाद पीएचई ने बुंदेलखंड पैकेज से जुड़े 15 अफसरों पर आरोप तय कर दिए हैं।
टीकमगढ़। ये है उस बुंदेलखंड की कहानी जहां हम आजादी के 70 साल मना जा रहे हैं। बुंदेलखंड 90 फीसदी नलजल योजनाओं में भ्रष्टाचार, 15 अफसरों पर आरोपों का दाग है, केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने मप्र में बंदेलखंड क्षेत्र 6 जिलों के विकास के लिए 3700 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया था। जिसके तहत 9 विभागों द्वारा अलग-अलग विकास कार्य कराए गए लेकिन वो दिखाई नहीं देती। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग द्वारा 6 जिलों में 100 करोड़ की लागत से 1287 नलजल योजनाएं तैयार की। इनमें से 997 योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाईं। सीटीई रिपोर्ट के बाद पीएचई ने बुंदेलखंड पैकेज से जुड़े 15 अफसरों पर आरोप तय कर दिए हैं। पीएचई के ईएनसी जीएस डामौर ने राज्य सरकार को 100 पेज की रिपोट भेज दी है। जिसमें 78 करोड़ रुपए की बर्बादी के लिए सीधे तौर पर अफसरों को जिम्मेदार बताया है।
डामौर ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में सागर संभाग के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सीके सिंह समेत 6 जिलों के कार्यपालन यंत्रियों पर आरोप तय किए हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि अफसरों ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत योजनाएं तैयार करने में अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। यही कारण है कि 1287 में से 997 नलजल योजनाएं पूर्णत: व्यर्थ रही। अफसरों ने न तो सामान की गुणवत्ता परखी, न भौतिक सत्यापन किया, न साइट विजिट की, न ही पाइन लाइन बिजली पंपों की गुणवत्ता परखी। अफसरों ने कार्यालय में बैठकर ही काम पूरा कर दिया। यदि अफसर जिम्मेदारी निभाते तो बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बदल गई होती।
ये अफसर हैं दोषी
ईएनसी जीएस डामौर की रिपोर्ट के मुताबिक सागर के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सीके सिंह, ईई वीके अहिरवार और अजय जैन, दमोह के ईई विजय सिंह चौहान, एनएस भिडे और एसएल अहिरवार, पन्ना के दिनकर मसूलकर और केपी वर्मा, टीकमगढ़ के एनआर गोडिय़ा और महेन्द्र सिंह, छतरपुर के पीके गुरु, दतिया के एससी कैलासिया, एसएल धुर्वे, हेमू कुवरे और जितेन्द्र मिश्रा को बुंदेलखंड पैकेज में नलजल योजनाओं में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया है। ये अधिकारी पूर्व में वहां पदस्थ रह चुके हैं।
भ्रष्टाचार के समय 6 मंत्री थे सरकार में...
जिस समय घोटाला हुआ उस समय मप्र सरकार में बुंदेलखंड क्षेत्र के 6 मंत्री गोपाल भार्गव, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, हरिशंकर खटीक, जयंत मलैया, रामकृष्ण कुसमारिया, नरोत्तम मिश्रा थे। खास बात यह है कि बुंदेलखंड पैकेज की कमेटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री एवं सदस्य मंत्री एवं अफसर थे। उल्लेखनीय है कि जांच में 80 फीसदी भ्रष्टाचार हुआ लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी की सभा में इसी काम के लिए तारीफ भी कर गए थे।
जिलेवार योजनाएं (पीएचई)
जिला योजनाएं
सागर 350
पन्ना 280
छतरपुर 150
दमोह 249
टीकमगढ़ 200
दतिया 58
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कुल 1287
सरकार तो चाहती ही नहीं थी कि जांच हो!
बुंदेलखंड पैकेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले समाजसेवी पवन घुवारा हाईकोर्ट तक गए। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई। घुवारा का आरोप है कि अभी तक सरकार ने उन्हें जांच की कोई जानकारी नहीं दी है। मुख्य सचिव को कई बार पत्र लिखे। उन्होंने कहा कि मप्र में 3700 करोड़ रुपए के पैकेज में 80 फीसदी से ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है। जनता को कोई फायदा नहीं मिला। देश में पहली बार किसी पिछड़े क्षेत्र के लिए पैकेज दिया। अब भविष्य में ऐसा पैकेज किसी को मिलने वाला नहीं है। राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र के बुंदेलखंड पैकेज का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा है।
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