मध्यप्रदेश में सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरा सवर्ण समाज, भाजपा और कांग्रेस की मुश्किल बढ़ी
भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया एससी-एसटी एक्ट अब सत्तारूढ़ दल और विपक्ष को भी भारी पड़ने लगा है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले इसका असर दिखने लगा है। प्रदेश के सवर्ण और पिछड़े वर्ग के लोग लामबंद होकर नेताओं और खासकर सांसदों का विरोध करने सड़कों पर उतरने लगे हैं।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा और क्षत्रिय महासभा ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। महासभा ने बीजेपी को हराने का संकल्प तक लिया है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरसिंह भदौरिया ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में संगठन बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध करेगा। भदौरिया ने एक्ट में केंद्र सरकार के बदलाव करने को गलत ठहराते हुए कहा कि इससे सामान्य वर्ग के हितों को गहरी चोट पहुंची है। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा ने कहा कि महासभा चुनाव के समय हर जिले में बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध करेगी। महासभा हर राज्य में विधानसभा घेराव का कार्यक्रम भी तैयार कर रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। एक्ट के विरोध में लोग अब सड़क पर उतरकर विरोध जताने लगे हैं। लोगों का गुस्सा राजनीतिक दलों के खिलाफ बढ़ता जा रहा है।
मुरैना
में
स्वास्थ्य
मंत्री
का
विरोध
दरअसल,
मुरैना
में
जीवाजीगंज
टाउनहॉल
में
भारतीय
डाक
विभाग
के
कार्यक्रम
में
शामिल
होने
आए
सूबे
के
स्वास्थ्य
मंत्री
रुस्तम
सिंह
का
एससी,
एसटी
एक्ट
को
लेकर
सवर्ण
समाज
ने
किया
कड़ा
विरोध
किया।
इस
दौरान
उन्हें
काले
झंडे
दिखाए
गए।
इतना
ही
नहीं
इस
दौरान
उनकी
गाड़ी
पर
चूड़ियां
भी
फेंकी
गई।
गुना
में
केंद्रीय
मंत्री
का
विरोध
मध्य
प्रदेश
के
गुना
पहुंचे
केंद्रीय
मंत्री
थावरचंद
गहलोत
का
एससी,
एसटी
कानून
में
संशोधन
को
लेकर
घेराव
किया
गया।
युवाओं
ने
यहां
के
सर्किट
हाउस
पहुंचकर
मंत्री
का
घेराव
किया
और
मुदार्बाद
के
नारे
भी
लगाए।
अपने
सीने
पर
कानून
के
विरोध
के
पोस्टर
चिपकाकर
युवाओं
ने
केंद्रीय
मंत्री
गहलोत
से
मुलाकात
की
थी।
ग्वालियर
में
सिंधिया
का
हो
चुका
है
विरोध
ग्वालियर
में
कांग्रेस
नेता
और
सांसद
ज्योतिरादित्य
सिंधिया
का
भी
एससी,
एसटी
एक्ट
के
को
लेकर
जमकर
विरोध
हुआ
था।
वे
यहां
मैराथन
में
शामिल
होने
आए
थे।
उनके
साथ
विधायक
जयवर्धन
सिंह
भी
थे।
तब
पुलिस
ने
बड़ी
मुश्किल
से
युवाओं
को
समझाया
था।
वहीं
केंद्रीय
मंत्री
नरेंद्र
सिंह
तोमर
का
भी
विरोध
हो
चुका
है।
कई
नेताओं
ने
बदले
कार्यक्रम
सवर्ण
वर्ग
के
युवाओं
के
विरोध
को
देखते
हुए
कई
मंत्री
और
नेताओं
ने
अपने
कार्यक्रमों
में
बदलाव
कर
दिया
है।
कुछ
नेताओं
के
दौरे
तक
निरस्त
हो
गए
हैं।