4 अहम सबूत कर रहे इशारे, जेल से सिमी आतंकियों को किसने भगाया?
सिमी आतंकियों की बैरक का सीसीटीवी ऑफ मिला। सभी सबूत संकेत कर रहे हैं कि इस जेलब्रेक में किसी इनसाइडर का हाथ है।
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की कड़ी सुरक्षा वाले सेंट्रल जेल से आठ सिमी आतंकियों की फरारी मामले में पुलिस को चार अहम सबूत मिले हैं जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि इस जेलब्रेक में किन लोगों का हाथ हो सकता है।
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पहला सबूत - जेल ब्लॉक के सीसीटीवी ऑफ
जेल से भागे आठों आतंकियों को ब्लॉक ए से ब्लॉक बी में शिफ्ट किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि ब्लॉक बी के तीन अहम सीसीटीवी ऑफ थे। अब सवाल यह उठता है कि सीसीटीवी किसने ऑफ किया?
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार कुछ महीने पहले ही जेल में खूंखार आतंकियों के ब्लॉक में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था। जेल के सभी कैमरे काम कर रहे थे लेकिन सिर्फ वही तीन कैमरे ऑफ मिले जिस वजह से सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल पाए।
इस सबूत से संकेत मिलते हैं कि इस जेलब्रेक में अंदर के आदमी शामिल हैं।
दूसरा सबूत - चाबियों के सांचे
पुलिस अधिकारियों को जांच के दौरान चाबियों के सांचे मिले हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन सांचों का इस्तेमाल आतंकियों ने चाबी बनाने के लिए किया था। उनका कहना है कि टूथब्रश के सख्त प्लास्टिक या लकड़ी से आतंकियों ने ताले में फंसाकर चाबी बनाने के लिए निशान लिए।
इस बारे में एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि चाबी का सांचा किसी ने बाहर से बनवाया और फिर आतंकियों तक पहुंचाया।
अधिकारी ने बताया कि हो सकता है कि टूथब्रश को किसी तरह से गरम करने के बाद आतंकियों ने ताले के अंदर डालकर निशान लिए हों। लेकिन ताला बाहर से लगा रहता है, इसलिए कोठरी के अंदर से ऐसा तभी कोई कर सकता है जब ताले को ही उल्टा लगाया गया हो।
चाबी के सांचे भी इस तरफ इशारे कर रहे हैं कि इस जेलब्रेक में अंदर के लोग शामिल हैं।
तीसरा सबूत - जेल में नाले के पास मिला छुरा
जेलब्रेक की खबर मिलने के बाद जब पुलिस पहुंची थी तो जांच के दौरान जेल में छुरा मिला।
इस बारे में एक पुलिस अधिकारी ने बताया है कि यह एक बड़ा छुरा है और इस तरह का हथियार रखना कैदियों के लिए प्रतिबंधित है।
वह बड़ा छुरा कैदियों के पास कैसे पहुंचा और रेगुलर चेक के दौरान उसके होने का पता क्यों नहीं चला? इन सवालों से भी संकेत मिलते हैं कि यह अंदर के किसी आदमी का काम है।
चौथा सबूत- जेलब्रेक में इस्तेमाल बेडशीट
जेल की दीवार 35 फीट ऊंची है। फरारी में इस्तेमाल बेडशीट दीवार के नीचे जमीन तक लटका हुआ था। पुलिस अधिकारी का कहना है कि इसके लिए कम से कम 50 फीट लंबे कपड़े का इस्तेमाल हुआ।
आखिर कैदियों के पास इतना कपड़ा कहां से आया और इस बारे में जांच करने वालों को पता क्यों नहीं चला? यह सवाल भी इशारा करता है कि कैदियों को भगाने में अंदर के आदमी का हाथ है।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने भी इस बात को स्वीकार किया है इस जेलब्रेक में किसी इनसाइडर का हाथ हो सकता है। उनका कहना है कि बिना अंदर के आदमी की मदद के कोई बाहर से चाबी नहीं बनवा सकता।
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