मध्य प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

बिन मां की बेटी बन गई पहलवान, 4 बजे उठकर पहले खाना बनाती फिर 2 Km पैदल जाती है प्रैक्टिस करने

Google Oneindia News

देवास। 10 साल की उम्र में मां को खोया, मगर हौसला बरकरार रखा। खुद पर भरोसा था और मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी। गांव से शहर और दूसरे जिलों में अकेले जाने पर जो लोग ताने मारते थे, वो ही लोग अब यह बेटी कामयाब हो गई तो तारीफ करते नहीं थकते। हम बात कर रहे हैं कि बिन मां की उस बेटी की, जो धांसू पहलवान बन गई। घर, परिवार और अपने गांव का नाम रोशन कर दिया। पूरे मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश को भी इस बेटी पर गर्व है। बेटी का नाम है पूजा जाट।

pooja jat

रेसलर पूजा जाट मूलरूप से मध्यप्रदेश के देवास जिले के छोटे से गांव बछखाल की रहने वाली है। महज 17 सौ की आबादी वाले इस गांव की बेटी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। आज हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पूजा जाट ने थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में 9 से 14 जुलाई तक होने वाली जूनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप के लिए 53 किलोग्राम वर्ग में जगह बना ली है। पूजा इस वर्ग में एशियन चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली मप्र की संभवतः पहली महिला खिलाड़ी होंगी। इसे मध्य प्रदेश की दंगल गर्ल के नाम से भी जाना जाता है।

दो साल तक प्रदेश का किया प्रतिनिधित्व

पूजा ने हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान 2014 और 2015 में स्कूल गेम्स में लगातार 2 साल तक 100 मीटर दौड़ में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद पूजा रोज बछखाल से खातेगांव आकर यहां के मैदान पर प्रेक्टिस करती थी। मैदान पर कड़ी मेहनत और घंटों पसीना बहाने के बाद भी पूजा अपनी दौड़ का टाइमिंग कम नहीं कर पा रही थी, वजह थी एड़ी में दर्द। डॉक्टर्स ने सलाह दी कि वे दौड़ना बंद कर दें। पूजा निराश हो गई, लेकिन तब तक पहले कोच योगेश जाणी पूजा में छिपी खेल प्रतिभा को पहचान गए थे। जाणी ने पूजा को दौड़ छोड़कर कुश्ती में हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया और उसे कुश्ती की ट्रेनिंग देना शुरू की। महज चार माह की ट्रेनिंग में ही पूजा ने स्टेट लेवल पर मेडल जीत लिया। इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

बेटी के हौसलों पर पिता का था भरोसा

जाट समाज से आने वाली पूजा जब कुश्ती के लिए घर से बाहर निकली तो रिश्तेदारों ने कहा लड़की है इसे बाहर मत भेजो। लड़की कुश्ती करेगी तो शादी नहीं होगी। तब पूजा के पिता रिश्तेदारों को कहते कि कुश्ती के लिए वो जहां तक जाना चाहे जाए, मुझे उस पर पूरा भरोसा है। पूजा के खेल अकादमी में सिलेक्शन के बाद से उसके पिता और दोनों भाई ही घर का सारा काम करते हैं। पूजा कहती है विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मेरे घर वालों ने मुझे सपोर्ट किया यदि उसी तरह से ग्रामीण लड़कियों को प्रोत्साहन मिले तो कई प्रतिभाएं आगे आ सकती हैं। सरपंच गीता गोरा और सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मीनारायण गोरा ने अपने खर्चे से पूजा को इंदौर, उज्जैन, हरियाणा और दिल्ली में ट्रेनिंग दिलवाई।

घर और खेल में बैठाया तालमेल

1 मार्च 2001 को जन्मी पूजा ने मात्र 10 साल की उम्र में बीमारी के चलते अपनी मां को खो दिया। परिवार में पिता प्रेमनारायण के अलावा दो छोटे भाई दीपक और शुभम हैं। घर में कोई महिला नहीं थी। सुबह 4 बजे उठकर परिवार वालों के लिए खाना बनाने के साथ घर के बाकी काम निपटाती फिर बछखाल से 2 किमी पैदल चलकर मेन रोड से बस पकड़ती और खातेगांव आकर प्रेक्टिस करती।

<strong>पति की मौत के बाद पत्नी ने करवाई अनूठी शादी, पूरे गांव को दिया शानदार भोज, घर-घर जाकर बांटे पीले चावल</strong>पति की मौत के बाद पत्नी ने करवाई अनूठी शादी, पूरे गांव को दिया शानदार भोज, घर-घर जाकर बांटे पीले चावल

Comments
English summary
Dewas wrestler pooja jat Biography in Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X