Gujarat इलेक्शन में रिकॉर्ड जीत से MP के BJP विधायकों की बढ़ी धड़कने, कहीं चल न जाए कैंची?
गुजरात में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत का जहां जश्न मन रहा है, तो वही एमपी में बीजेपी विधायकों की धड़कन बढ़ने लगी हैं। उन्हें खतरा है कि पार्टी कहीं गुजरात चुनाव का फॉर्मूला लागू न कर दें।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का संग्राम निपट गया। दोनों ही राज्यों में अगले 5 साल के राजकाज की नई इबारत लिखना भी शुरू हो जाएगी। अब 2023 में मध्य प्रदेश समेत राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं। जिस फॉर्मूले पर एंटी इनकम्बेंसी होने के बाबजूद बीजेपी ने गुजरात में जीत का धमाका किया, उससे यह चर्चा हो गई है कि क्या आने वाले चुनावों में उसी फॉर्मूले को अपनाया जाएगा। ख़ासकर एमपी में भाजपा विधायकों की धड़कने जरुर बढ़ा दी हैं। क्योकि गुजरात में जब 30 विधायकों के टिकट कटे तब जीत का आंकड़ा 156 सीटों पर पहुंचा।
बीजेपी ने यूपी के बाद अब गुजरात में जीत नया इतिहास लिखा हैं। तमाम चुनौतियों के बीच जिस तरह पार्टी ने चुनाव लड़ने का रोड मेप बनाया, उसकी अब ज्यादा चर्चा हो रही है। कुल 182 में से १५६ सीट हासिल कर बीजेपी ने साबित कर दिया कि हम किसी भी हवा के झौंके से गिरने वाले नहीं है। पहले सीएम बदलना फिर मंत्रियों के काम काज में फेरबदल और उसके बाद जब चुनाव आए तो करीब 30 विधायकों का टिकट काटना...कुछ ऐसे फैक्टर रहे, जिनकी बदौलत बीजेपी रिकॉर्ड जीत दहलीज पर पहुंची। अब यही जीत अगले साल एमपी समेत छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधायकों को टेंशन देने के लिए काफी हैं। मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में तो इसकी चर्चा शुरू हो गई है।
कुल 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में मौजूदा बीजेपी सरकार में कई मंत्री ऐसे है, जिनके लिए उम्र का बंधन आड़े आ सकता है। वही कुछ विधायक भी ऐसी ही लिस्ट में शामिल है। सिर्फ पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीतेते आ रहे कुछ विधायकों के परफ़ॉर्मेंस पर भी सवाल उठते आए हैं। ऐसे में बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव का ख्याल रखते हुए रिस्क लेने के मूड में नहीं रहेंगी। गुजरात में भी कुछ सीटों पर वैसा ही देखा गया। एमपी में सीएम का चेहरा भले नहीं बदला, लेकिन कुछ महीने से मंत्रीमंडल में फेरबदल के संकेत भी है। माना जा रहा है कि गुजरात-हिमाचल के चुनाव अब निपट चुके है और आने वाले दिनों में बड़े फैसले लिए जा सकते है।