बबुली कोल : वो खूंखार डकैत जिसके लिए मर्डर करना था बाएं हाथ का खेल, MP-UP पुलिस मिलकर भी नहीं पकड़ सकी जिंदा
सतना। वर्ष 1979 में मध्य प्रदेश के चित्रकूट जिले के डोंडा सोसायटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरण के घर बेटा पैदा हुआ। खूब खुशियां मनाई गई। नाम रखा बबुली कोल। तब पूरे गांव में किसी को इल्म भी नहीं था कि यह लड़का इतना बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा कि दो राज्यों की पुलिस भी इससे खौफ खाने लगेगी। इसके लिए किसी को मौत के घाट उतारना बाएं हाथ का खेल होगा और वर्ष 2019 में यह महज 40 की उम्र में मुठभेड़ में ही मारा जाएगा। डकैत बबुली कोल और साथी लवलेश की लाशें मध्य प्रदेश के सतना जिले के धारकुण्डी थाना क्षेत्र के वीरपुर के पास पहाड़ी पर जंगल में पड़ी मिली हैं। आईजी चंचल शेखर ने दोनों डकैतों के मारे जाने की पुष्टि की है।
जानिए गैंगस्टर बबुली कोल की कुंडली
बबुली कोल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सबसे खतरनाक डकैतों में से एक था। गांव कोलान से उसके अपराध का सफर 28 साल की उम्र में शुरू हुआ। फिर एक ही परिवार के पांच सदस्यों की नाक काटकर उन्हें जिंदा जला देना और थानाप्रभारी समेत चार जवानों को मौत के घाट उतार देने के बाद बबुली आतंक का पर्याय बन चुका था। इससे पहले बबुली की पहचान बतौर किसान हुआ करती थी। आईए जानते हैं 50 हत्या व अपहरण की वारदातों को अंजाम देने वाले इंटर स्टेट गैंगस्टर बबुली कोल की जीवनी।
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बबुली ने 2007 में रखा अपराध की दुनिया में कदम
दरअसल, गांव कोलान के प्राथमिक स्कूल से आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद वह इंटर के लिए बांदा चला गया था। वहां इंटर पास की और फिर आगे की पढ़ाई की राह में परिवार की आर्थिक स्थिति रोड़ा बन गई। ऐसे में पढ़ाई छोड़कर बबुली घर आ गया। खेती करने लगा। 2007 तक सब कुछ ठीक था। फिर ठोकिया नाम के एक अपराधी की मदद के आरोप में पुलिस ने बबुली को गिरफ्तार कर लिया। छह माह की जेल हुई। जेल में उसकी मुलाकात ठोकिया के साथी लाले पटेल से हुई। उस मुलाकात के बाद बबुली के दिमाग में अपराध के बीज पनपने लगे। वह सबसे बड़ा गैंगस्टर बनने का ख्वाब देखने लगा।
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छह माह बाद बबुली जेल से छूटा। बाहर आने के बाद वह लाले को छुड़वाने का प्लान बनाने लगा। जब लाले को पेशी पर लाया गया तो बबुली कोल उसे फरार करवाकर ले गया। अपराध की दुनिया में बबुली का यह पहला कदम था। फिर बबुली और लाले ने पाठा के जंगल में शरण ली। यही पर रहकर अपना गिरोह खड़ा किया।
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ददूआ के बाद बबुली का आतंक
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों के सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में फैले पाठा के जंगलों में पुलिस कभी बबुली व उसके गिरोह तक नहीं पहुंच गई। पाठा के जंगलों में कभी कुख्यात डकैत ददूआ का आतंक हुआ करता था। ददूआ के खात्मे के बाद इन जंगलों को बबुली के रूप में नया डकैत मिला। बबुली गिरोह का आतंक सबसे अधिक चित्रकूट, बांदा, मानिकपुर, ललितपुर और सतना जिले में रहा।
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जब 5 लोगों को पेट्रोल डालकर जलाया
लाले को फरार करके पाठा के जंगलों में छिपकर रहने वाला डकैत बबुली कोल वर्ष 2012 में एक बार फिर से उस वक्त चर्चा में आया जब उसने गांव टिकरिया में एक ही परिवार के दो सदस्यों की हत्या कर डाली। बबुली कोल पर हत्या का यह पहला मामला था। इसके बाद तो उसका आतंक बढ़ता ही गया। जून 2012 में बबुली ने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी और पैर और हाथ पर गोली मारी। बाद में सभी पर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी। इस जघन्य कांड को बबुली गिरोह ने कैमरे में रिकॉर्ड भी किया ताकि लोगों में गिरोह की दहशत बनी रही।
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कई बार आमना-सामना, हर बार बच निकला
टिकरिया जघन्य कांड हत्याकांड के बाद बबुली कुख्यात हो चुका था। एमपी और यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स को पाठा के जंगलों में बबुली की तलाश में लगाया गया, मगर कोई सफलता नहीं मिली। 22 मई 2016 को मारकुंडी पुलिस से उसका आमना-सामना हुआ। जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ बबुली पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल हो गया। फिर वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने फिर बबुली कोल की तलाश में ऑपरेशन चलाया। इस बार भी मुठभेड़ हुई। दोनों तरफ से जमकर गोलियां दागीं गई। लेकिन एक बार फिर बबुली कोल बच निकला।
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पुलिस के अनुसार बबुली कोल को खतरनाक डकैत बनाने और पुलिस की पकड़ में नहीं आने में उसकी लाइफ स्टाइल ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई। बताया जाता है कि वह अपने पास मोबाइल नहीं रखता था। ना ही कभी उसने महिलाओं से सम्पर्क रखा। साथ ही अपने साथियों को भी निर्देश देता है कि मोबाइल और महिला से दूरी बनाए रखो। मोबाइल न होने की वजह से पुलिस को उसकी लोकेशन पता करने में काफी मुश्किलें आती रहीं।
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अंतिम अपराध किसान का अपहरण
बबुली व उसके गिरोह ने अगस्त 2019 में यूपी के मानिकपुर से एक मावा व्यापारी का अपहरण कर फिरौती वसूली। फिर 7 सितम्बर 2019 की रात में एमपी के सतना जिले के धारकुंडी थाना इलाके के गांव हरसेड से किसान अवदेश द्विवेदी को उठा ले गया और उसी के फोन से करके बेटे रूपेश द्विवेदी से पचास लाख रुपए की फिरौती मांगी। फिरौती राशि लेने के बाद उसने किसान अवेदश द्विवेदी को छोड़ा।
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...और यूं हुआ बबुली कोल का अंत
मीडिया से बातचीत में सतना एसपी रियाज इकबाल और चित्रकूट एसपी मनोज कुमार झा ने बताया कि शनिवार रात को बबुली कोल और गिरोह के लवलेश के बीच किसान के अपहरण से मिले फिरौती के रुपयों के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ और फिर दोनों ने एक दूसरे पर अंधाधुंध गोलियां चलाई, जिससे दोनों की मौत हो गई। रविवार सुबह पुलिस को मुखबिर से इत्तला मिली कि वीरपुर के पास पहाड़ी पर जंगल में रात को डकैतों के बीच मुठभेड़ हुई है। इस पर भारी पुलिस जाब्ता के साथ घटनास्थल पर दबिश दी गई तो वहां बबुली कोल और लवलेश की लाशें पड़ी मिलीं।