देश का ऐसा पहला मंदिर जिसके भंडारे में भोजन करने वालों को दिखाना पड़ता है आधार कार्ड
मंदसौर। भारत के मंदिर की खबरें अक्सर चर्चा में रहती हैं। कभी मंदिर में प्रवेश को लेकर तो कभी मंदिरों की अथाह सम्पत्ति सुर्खियों में रहती है, मगर इस बार एक मंदिर अनूठी व्यवस्था को लेकर खबरों में है। यह मंदिर है मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर। यहां पर अब भंडारे में खाना खाने लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा करने वाला यह देश का पहला मंदिर है। प्रशासन ने ऐसा स्थानीय लोगों को भंडारे से दूर रखने के लिए किया है।
दरअसल, मंदिर के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रबंध समिति ने जिला कलेक्टर मनोज पुष्प के आदेश पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इसी महीने 01 अगस्त 2019 से नियमित भंडारे की व्यवस्था की थी। 1500 साल पुरानी अष्टमुखी प्रतिमा के दर्शन के लिए सामान्य दिनों में रोजाना देशभर से औसतन 300 से 500 लोग पहुंचते हैं। पूरे सावन महीने में 1 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां आते हैं।
300 लोगों का खाना डेढ़ घंटे में खत्म हो जाता
मंदिर समिति के प्रबंधक राहुल रुनवाल कहते हैं कि भंडारे में 300 लोगों के लिए बना भोजन रोज डेढ़ घंटे में ही खत्म होने लगा। लेकिन बाहर से आए श्रद्धालुओं को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा था। मंदिर समिति ने पड़ताल की तो पता चला कि आसपास के स्थानीय लोग ही भोजन चट कर जाते हैं। कुछ लोगों ने तो अपने घरों में खाना ही बनाना बंद कर दिया है। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने आधार लागू करने का फैसला लिया।
यह व्यवस्था लागू होने के बाद मंदिर में भोजन करने वाले लोगों की संख्या आधी रह गई है। मंदसौर जिला कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि फ्री भोजन व्यवस्था बाहरी श्रद्धालुओं के लिए है। इसका लाभ स्थानीय लोग लेने लगे थे। इससे व्यवस्था बिगड़ रही थी। अगर किसी के पास आधार नहीं है तो वो अपने साथी का आधार भी दिखा सकता है।
भंडारे का खर्च भी हो गया आधा
मंदिर समिति रोजाना 300 लोगों का खाना बनाती है। इस पर 9 हजार रुपए का खर्च आता है। यानी महीने में 2 लाख 70 हजार रुपए खर्च हो रहे थे। नई व्यवस्था से भंडारे में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या आधी रह गई है। इससे यह खर्च 1 लाख 80 हजार रुपए में सिमट गया। साथ ही बाहरी श्रद्धालुओं को लाभ भी मिल रहा है।