योगी सरकार ने उद्योगों के विकास के लिए उठाया बड़ा कदम, लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में उद्योग के लिए भूस्वामी जमीन देने को आकर्षित हों, इसके लिए योगी सरकार ने लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत 18 मीटर चौड़ी सड़क के पास की कम से कम 25 एकड़ जमीन भूस्वामियों से ली जाएगी। औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपने मास्टर प्लान के तहत 18 मीटर चौड़ी सड़क के आसपास की जमीन को इसी लैंड पूलिंग नीति के तहत हासिल करेगा। इसमें से 80 प्रतिशत भूमि को भूस्वामियों से उनकी मर्जी से लिया जाएगा, साथ ही 20 प्रतिशत भूमि को भू-अर्जन, पुनर्वासन व अन्य तरीकों से लिया जाएगा। लैंड पूलिंग के माध्यम से जमीनों का अधिग्रहण कर लैंड बैंक बनाने की इस नीति को मंगलवार को योगी सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिली है।
इस नीति के तहत भूस्वामियों को रोड किनारे की दी गई जमीन का 25 प्रतिशत हिस्सा उनको वापस लौटा दिया जाएगा। भूस्वामियों से जमीन लेने के बाद औद्योगिक विकास प्राधिकरण को प्लान के तहत तीन साल की समय सीमा में विकास का काम करना होगा। जब तक भूस्वामियों को 25 प्रतिशत विकसित भूमि नहीं दी जाती तब तक उनको मुआवजा के तौर 5000 रुपया प्रति एकड़ हर महीने क्षतिपूर्ति व मुआवजा के तौर पर मिलेगा। इस नीति के जरिए भूस्वामियों को औद्योगिक विकास के लाभ में हिस्सेदार बनाया गया है। जिस 25 प्रतिशत विकसित भूमि भूस्वामियों को वापस किया जाएगा, उसको वे औद्योगिक प्राधिकरण को वापस बेच सकेंगे या किसी और को भी दे सकेंगे, इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं।
औद्योगिक विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने लैंड पूलिंग नीति पर कहा कि 18 मीटर चौड़े रोड किनारे की जमीन किसानों या भूस्वामियों की सहमति से ही ली जाएगी। इस नीति के तहत उनको हर महीने एक निश्चित आय की व्यवस्था की गई है। इससे दूसरी तरफ उद्योगों के लिए रोड किनारे की विकसित जमीन उपलब्ध हो सकेगी। प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति देने में यह सहायक होगा और इससे पूंजी निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस तरह से जमीनों का बैंक तैयार किया जाएगा जिसको उद्योगों को स्थापित करने के लिए आवंटित किया जा सकेगा। इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।