क्या है यूपी में कांग्रेस की रणनीति, आखिर क्यों किसानों के मुद्दे को उठा रहे हैं राहुल
लखनऊ। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जब 2004 में राजनीति में कदम रखा था तो उनका सबसे बड़ा लक्ष्य उस वक्त से ही कांग्रेस को यूपी में फिर से जीवित करने का है। आबादी के मामले में देश के सबसे बड़े राज्य में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए राहुल शुरुआत से ही तमाम कोशिशों में जुटे हैं।
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ओबीसी वोटर्स कांग्रेस के समर्थक नहीं
कांग्रेस इसके लिए ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों को एक साथ अपनी ओर लाने की कोशिश करती रही है। लेकिन ओबीसी वोटों पर कांग्रेस ने कभी खास ध्यान नहीं दिया क्योंकि ओबीसी वोटर्स कांग्रेस के पक्ष में कभी नहीं रहे। यूपी में किसान ज्यादातर ओबीसी जाति के हैं और बावजूद इसके कि ओबीसी कांग्रेस के पक्ष में नहीं है, यह जानना बेहद दिलचस्प है कि क्यों राहुल गांधी किसानों के मुद्दों को लेकर यूपी में तकरीबन एक महीने के लंबे किसान विकास यात्रा पर निकले हैं।
35 फीसदी वोट पर नज़र
इससे पहले भी राहुल गांधी ने अति पिछड़ी जातियों को लुभाने की नाकामयाब कोशिश 2012 में की थी। इस चुनाव में कांग्रेस की रणनीति ब्राह्मणों, ठाकुरों और मुसलमानों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की थी जोकि मिलकर कुल 35 फीसदी वोटर हैं।
यह लड़ाई जीतने के लिए नहीं हराने के लिए
कांग्रेस इस बात से वाकिफ है कि यूपी में चौथे नंबर से पहले नंबर पर आना उसके लिए तकरीबन असंभव है। लेकिन बावजूद इसके वह यूपी के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है और जिस तरह के कदम उठा रही है उससे यह साफ है कि यह कोशिश जीत के लिए बल्कि भाजपा को हराने के लिए की जा रही है।
गैर यादव वोटों में भाजपा पर वार
जिस तरह से यूपी में भाजपा ने गैर यादव को अपनी ओर लाने के लिए रणनीति बनाई है उसे कांग्रेस किसी भी हाल में फेल करने की कोशिश में जुटी है। भाजपा पिछड़ी जाति को जाति और हिंदुत्व के जरिए अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है और कुछ यही कांग्रेस भी करने की कोशिश कर रही है।
किसानों के असंतोष को भुनाने की कोशिश
यूपी में राहुल के भाषणों से भी यह साफ होता है कि वह किसानों के भीतर असंतोष को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। यह असंतोष बतौर हिंद या जाति के दम पर नहीं बढ़ाया जा रहा है बल्कि खेती को लेकर असंतोष के प्रति बढ़ाया जा रहा है। मोदी सरकार में जिस तरह से यूपी में भारी सूखे के बीच किसानों को एमएसपी दिया गया है उसे लेकर किसानों में असंतोष है जिसे राहुल समझते हैं। इसी के चलते वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहे हैं कि किसानों का कर्ज माफ हो, बिजली का बिल आधा हो और एमएसपी को बढ़ाया जाए।
केंद्र की छवि किसान विरोधी बनाने की कोशिश
अपने इस अभियान के जरिए राहुल गांधी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि केंद्र सरकार किसान और गरीब विरोधी है जबकि उद्योग जगह और कॉर्पोरेट्स की समर्थक है।
मिल सकता है सवर्णों का वोट
ऐसे में अगर कांग्रेस यह छवि बनाने में सफल होती है कि पिछड़ो का भाजपा में लगाव कम हुआ है तो यूपी में भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। ऐसी परिस्थिति में ठाकुर, ब्राह्मण वोटर कांग्रेस का रुख कर सकते हैं। किसानों के हितों की बात करके कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों के अपर कास्ट के किसानों को अपनी ओर खींच सकती है जोकि जमीन के मालिक हैं और जो भाजपा के समर्थक हैं।